नई दिल्ली: यूपी के मुजफ्फरनगर के स्कूल में एक छात्र की पिटाई का मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में दिया कि छात्र की शिक्षा का खर्च उचित योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा सचिव को अगली सुनवाई में वर्चुअली पेश होने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम TISS मुंबई काउंसलिंग के लिए कह सकते हैं कि वह कोई तरीका निकाले और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर फटकार लगाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि यूपी के सचिव कौन हैं और कौन सी संस्था बच्चों की परामर्श के लिए आगे आई है. कोर्ट ने आगे कहा कि जब तक हम आदेश पारित नहीं करेंगे, तब तक आप कुछ नहीं करेंगे, आपको एक स्टैंड लेना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कुछ करेंगे या नहीं, हमने 25 सितंबर को आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके राज्य में छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है तो अब तीन महीने बाद एक्सपर्ट काउंसलिंग का क्या फायदा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक हमारे आदेश का कोई अनुपालन नहीं हुआ है. यूपी द्वारा कोई अनुपालन नहीं किया गया है, हमें बच्चों की काउंसलिंग के लिए एक एजेंसी ढूंढनी होगी. कोर्ट ने आगे कहा कि हमें यूपी सरकार द्वारा एक भी बयान दिखाएं कि स्कूल छात्र को प्रवेश देने के लिए सहमत हो गया है. वकील सादान फरासत ने कहा कि बच्चों को लगातार काउंसलिंग की जरूरत होती है. राज्य इससे अनौपचारिक तरीके से निपट रहा है, अगर वह नहीं कर सकते तो उन्हें कहना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार मामले में अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा रही है.
आपको बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ओका ने कहा था कि आपको किसी बच्चे के प्रवेश के लिए किसी समिति की नियुक्ति क्यों करनी पड़ रही है? समिति क्या करेगी? अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कहिए और वे स्कूल के प्राचार्य से बात करेंगे जो दाखिले पर विचार करेगा. अदालत के समक्ष ऐसा रुख मत अपनाइए. मुझे नहीं लगता कि मामले के तथ्यों को देखते हुए कोई विद्यालय ना करेगा. शुक्रवार तक हमें अनुपालन के बारे में जानकारी दीजिए.