आनद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल। मध्य प्रदेश में करीब सवा साल पहले तत्कालीन शिवराज सरकार ने मंत्रालय में ई-ऑफिस व्यवस्था लागू की थी। इसके पीछे एक मकसद यह भी बताया गया था कि रिकॉर्ड का संधारण आसान हो जाएगा और एक क्लिक पर फाइल मिल जाएगी। लेकिन आज तक सरकारी कर्मचारी और अफसरों की बेरूखी वजह से मध्यप्रदेश में पूरी तरह से ई-फाइल सिस्टम लागू नहीं हो पा रहा है, लेकिन अब कोराना महामारी के चलते इसको अपनाना मजबूरी बन गई है। कोराना से बचाव के चलते मध्यप्रदेश में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। यही वजह है कि सरकारी कार्यालयों में काम काज नहीं हो पा रहा है।
यह अलहदा बात है कि इस दौर में भी सरकार के वे विभाग पूरी तरह से कामकाज कर रहे हैं , जिनमें ई-फाईल सिस्टम लागू हो चुका है। इस सिस्टम के चलते ही उन विभागों के कर्मचारी घर पर ही रहकर कम्प्यूटर के माध्यम से कार्यालयीन कामकाज कर रहे हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार ने अन्य विभागों को भी ई-फाईल सिस्टम अपनाने पर जोर दिया है। शासन के शीर्ष अधिकारी भी मानते हंै कि सोशल डिस्टेंसिंग के लिए ई-फाईल सिस्टम बेहतर विकल्प है। यही वजह है कि अब लॉकडाउन के बाद कई विभागों में इस सिस्टम को पूरी तरह से लागू करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
नगरीय प्रशासन में प्रारुप तैयार
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने बदलती हुई स्थिति को देखते हुए विभाग के कार्य स्वरूप में बदलाव करने की तैयारी शुरु कर दी है। विभाग द्वारा अब तक एनआईसी से 20 अधिकारियों की ई-मेल आईडी तैयार करवा ली गई है। इन मेल आईडी के माध्यम से ई-फार्ईल द्वारा विभाग के कामकाज निपटाने का प्रारूप भी तैयार किया गया है। विभाग द्वारा 20 अप्रैल से ई-आफिस की शुरूआत भी कर दी गई है। जबकि प्रदेश में खाद्य विभाग के दफ्तरों में पूर्व से ही ई-फाईल सिस्टम से ही कामकाज किया जा रहा है।
दो वर्ष पहले हुई थी शुरूआत
भाजपा सरकार ने इस सिस्टम की शुरुआत दो साल पहले की थी , लेकिन आला अफसरों की अरुचि के चलते ई-फाईल सिस्टम रफ्तार नहीं पकड़ सका था। अब कोरोना संक्रमण के चलते अधिकारियों और कर्मचारियों की इस सिस्टम को अपनाना मजबूरी बनती जा रही है। लिहाजा, इस सिस्टम को एडाप्ट की कयावद शुरू कर दी गई है। अधिकारियों को समझ आ गया है कि सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए विभागीय कामकाज इसी पद्धति से निपटाया जा सकता है।