हरिद्वार। लोकसभा चुनाव में पहले 50 हजार वोट लेकर प्रत्याशी सांसद बन जाते थे, लेकिन अब चार लाख से अधिक वोट लेने के बाद भी उन्हें हार का सामना करना पड़ता है। पहले मतदान प्रतिशत काफी कम रहता था लेकिन अब मतदाताओं की संख्या और मतदान प्रतिशत बढ़ा तो हार और जीत के समीकरण भी बदलते चले गए।
पहले आम चुनाव 1951 में वोटरों की संख्या चार लाख के करीब थी। इसके बावजूद 50 हजार से कम वोटों लाने पर नेता सांसद बन गए थे। 1951 के चुनाव में अल्मोड़ा में 54,964 वोट पाकर देवी दत्त पहले सांसद बने थे। इसके बाद 1957 में अल्मोड़ा में हरगोविंद 49,549 वोट लेकर सांसद बन गए थे।
इस बार 24 फीसदी मतदान हुआ था। वर्तमान में हरिद्वार सीट और तत्कालीन सीट देहरादून से महावीर त्यागी पहले सांसद बने। उस समय उनको एक लाख से अधिक वोट मिले थे। तीन बार सांसद बने महावीर त्यागी 1.30 लाख से अधिक वोट हासिल नहीं कर सके। अब चार लाख वोट लेने के बाद भी प्रत्याशी सांसद नहीं बन पा रहे हैं।
2014 के चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी रेणुका रावत 4,14,498 वोट लाने के बाद भी हार गई। 2019 के चुनाव में दोबारा ऐसा हुआ जब दिवंगत पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार को 4,06,945 वोट मिले और वह हार गए जबकि 2009 में हरीश रावत 3,32,235 वोट लेकर हरिद्वार से सांसद बन गए थे।