जोशीमठ: उत्तराखंड का जोशीमठ शहर अभी दरारों के जख्मों से पूरी तरह उभरा नहीं है। लगातार हो रही बरसात ने नए जख्म देना शुरू कर दिया है। बारिश शुरू होते ही जोशीमठ की सड़कों पर पसरे सन्नाटा ने लोगों को एक बार फिर जनवरी की याद दिला दी है। व्यापार उसी तरह ठप हो गए हैं जैसे जनवरी में दरारें पड़ने के दौरान हो गए थे। सड़कों पर पसरा सन्नाटा और ठप पड़ा व्यापार व्यापारियों की चिंता बढ़ा रहा है। दूसरी तरफ बरसात के बाद से बढ़ रही दरारें प्रभावितों के लिए टेंशन का सबक बन गई है। पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश के कारण सड़कें बंद हो गई है।
जोशीमठ में यात्री नहीं पहुंच पा रहे हैं और ना ही यात्री जोशीमठ में रुकना चाहते हैं। यात्रियों के मन में डर बैठ गया है कि जोशीमठ सुरक्षित स्थान नहीं है। व्यापारी जय प्रकाश भट्ट, अवधेश अग्रवाल, प्रदीप नवानी आदि कहते हैं कि शुरू हुए इस मानसून ने लोगों के व्यापार पर फिर ब्रेक लगा दिया है। ऐसा ही ब्रेक तब भी लगा था जब जोशीमठ में दरारों का सितम चल रहा था।
दरारों की जगह कारोबार पर ब्रेक लग गया
जनवरी में दरारें पड़ने के बाद से लोग अपना अस्तित्व बचाने के लिए हाथों में मशाल लेकर सड़कों पर बैठे रहे। सरकार से लड़ते रहे और मुआवजे की मांग करते रहे। दरारों पर कुछ ब्रेक लगा तो लोगों में उम्मीद जगी कि अब उनका विस्थापन और पुनर्वास भी हो जाएगा और शायद अब दरारे भी ना बड़े परंतु सब विपरीत हो गया। अभी तक ठीक तरह से मुआवजा और पुनर्वास भी नहीं मिल पाया और ना ही दरारों पर ब्रेक लगा बल्कि व्यापार और कारोबार पर ब्रेक लग गया है।