वैश्विक चुनौतियों के बीच बेहतर कृषि उत्पादन के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने से चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7-7.8 प्रतिशत रह सकती है। अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान जताया है। आपको बता दें कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगा है और दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है।
जानेमाने अर्थशास्त्री और बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (बेस) के कुलपति एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक कारणों से कई चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम पैदा हुआ है, हालांकि घरेलू स्तर पर वृहत आर्थिक बुनियाद मजबूत हैं।
भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘बेहतर कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ भारत को चालू वित्त वर्ष में वैश्विक बाधाओं के बावजूद सात प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करनी चाहिए।’’
फ्रांस के अर्थशास्त्री गाय सोर्मन ने कहा कि भारत ऊर्जा और उर्वरक आयात की उच्च लागत से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत अभी भी एक कृषि अर्थव्यवस्था है, ऐसे में धीमी वृद्धि का सामाजिक प्रभाव शहर के श्रमिकों के अपने गांव वापस जाने से कम हो जाएगा। इससे कृषि उत्पादन और खाद्यान्न निर्यात बढ़ सकता है।
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भारत की अर्थव्यवस्था पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 6.6 प्रतिशत घटी थी। ऊंची महगाई दर के बारे में भानुमूर्ति ने कहा कि मार्च 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर पहुंची और पिछले तीन महीनों में इसमें तेजी का मुख्य कारण ईंधन के दाम में उछाल है।