नई दिल्ली: बिहार में विधानसभा की चार सीटों तरारी, रामगढ़, बेलागंज, इमामगंज पर हो रहे उप चुनाव दोनों गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने हुए हैं। खासकर एनडीए के लिए यह उप चुनाव चुनौतीपूर्ण है। दोनों गठबंधन अपनी सीट बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव में इन सभी विधानसभा सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों की हार हुई है। इस स्थिति में एनडीए को लोकसभा चुनाव के परिणाम को बदलना एक बड़ी चुनौती है। लोकसभा चुनाव में इन सभी विधानसभा सीटों में एनडीए प्रत्याशी पिछड़ गए थे।
बक्सर संसदीय सीट के अंदर आने वाले रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र पर 1985 से इस सीट पर राजद का दबदबा रहा है। हाल ही में लोकसभा चुनाव में बक्सर से सांसद सुधाकर सिंह विजयी हुए थे। इस उप चुनाव में भी सुधाकर सिंह की लोकप्रियता से निपटना एनडीए के प्रत्याशी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
आरा संसदीय क्षेत्र के तरारी विधानसभा सीट से भी लोकसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशी को महागठबंधन प्रत्याशी से कम वोट मिले थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तीसरे पायदान पर चले गए थे। ऐसी स्थिति में इस उपचुनाव में भी एनडीए प्रत्याशी के लिए बढ़त बनाना एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस उपचुनाव में जन सुराज पार्टी ने भी उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दोनों गठबंधनों की मुश्किलें बढ़ा दी है।
गया के बेलागंज में एडीए को चुनौती
गया लोकसभा सीट के बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में होने वाले इस उपचुनाव में एनडीए के लिए खास चुनौतीपूर्ण है। इस सीट पर राजद का दबदबा रहा है। इस विधानसभा सीट से विगत छह विधानसभा चुनाव से राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव जीत दर्ज करते रहे है। हाल में हुए लोकसभा चुनाव में राजद को इस सीट से ‘हम’ प्रत्याशी से बढ़त मिली थी।
इमामजंग पर भी एनडीए को मुश्किल
इमामगंज विधानसभा सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी पिछड़ गए थे। ऐसे में इस उप चुनाव में भी एनडीए के लिये चुनौती बनी हुई है। तरारी में सीपीआई के सुदामा प्रसाद, बेलागंज में राजद के सुरेंद्र यादव, इमामगंज में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी और रामगढ़ में राजद के सुधाकर सिंह के लोकसभा पहुंच जाने से ये चारों सीटें खाली हुई हैं। सभी सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे।