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Home राज्य

हवा से बिजली, 12 साल में 14 गुना बढ़ी फिर भी कम!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
17/06/23
in राज्य, समाचार
हवा से बिजली, 12 साल में 14 गुना बढ़ी फिर भी कम!

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भोपाल : प्रदेश में हवा से बिजली बनाने के मामले में बीते एक दशक में तेजी से काम हुआ, लेकिन फिर भी कुल मांग, खपत व उत्पदन का हिसाब देखे तो पवन ऊर्जा उत्पादन कम ही है। वर्ष-2011 में 219 मेगावाट विंड एनर्जी थी, जो अब 3000 मेगावाट हो गई है। अब बिजली में कॉम्बो यानी हाईब्रिड प्लान लाया जा रहा है। इसमें एक ही जगह पर विंड, हाइडल और सोलर एनर्जी का प्लांट रहेगा। इससे उम्मीद है कि विंड सहित पूरी नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो। इसी कारण 2030 तक 30 हजार मेगावाट तक उत्पादन क्षमता का लक्ष्य है।

ऐसे जाने विंड एनर्जी के हाल

वर्ष                      उत्पादन                              क्षमता

2003-2004         21.69                                मेगावाट

2010-2011         213.99                              मेगावाट

2023-2024         3000                                मेगावाट

नीति 2012 की, अब नीति भी कॉम्बो

प्रदेश में विडं एनर्जी की नीति वर्ष-2012 की है। इसके बाद से विंड एनर्जी को लेकर कोई नीति ही नहीं बनाई गई, लेकिन वर्ष-2022 में सरकार नवकरणीय ऊर्जा की नीति लाई है। इसी नीति के तहत विंड एनर्जी को भी शामिल कर लिया है। इसके बाद सरकार ने विंड एनर्जी की अलग नीति की जरूरत को फिलहाल नकार दिया है। वजह ये कि नवकरणीय ऊर्जा नीति 2022 में सभी वैकल्पिक ऊर्जा के लिए प्रावधान कर दिए हैं। नई नीति में विंड एनर्जी के लिए पीपीपी मोड पर प्रोजेक्ट के प्रावधान दिए हैं। इसके तहत निवेश पर ढेरों सुविधाएं और अनुदान की व्यवस्था की गई है।

क्या है कॉम्बो प्लान

नई नवकरणीय ऊर्जा नीति के तहत ही हाईब्रिड एनर्जी प्लांट यानी काम्बो एनर्जी प्लांट का प्लान तैयार किया है। इसमें एक ही जगह पर हाईडल, सोलर और विंड एनर्जी बनना है। इसके लिए ऐसे स्थानों का चयन हो रहा है। मसलन, नीमच में सोलर और विंड एनर्जी के एक प्लांट लगना है। इसी तरह ओंकारेश्वर में सोलर और हाइडल प्लांट लगना है। कुछ जगह पर तीनों बिजली के प्लांट रहेंगे।

विंड की राह में ये चुनौतियां

विंड एनर्जी को लेकर बहुत ज्यादा फोकस मध्यप्रदेश में नहीं किया गया है। इसकी वजह हवा की गति को लेकर अनिश्चितता है। देवास, नीमच, धार सहित कुछ जगह पर ही विंड की संभावना ज्यादा है। प्रदेश में देवास का विंड एनर्जी प्लांट ही सबसे अधिक सफल रहा है। हवा की गति में अनिश्चितता के कारण ही इसके प्लांट कम लगे हैं। इसी कारण इस क्षेत्र में चुनौतियां ज्यादा हैं।

देश में 8वें नंबर पर मध्यप्रदेश

विंड एनर्जी जनरेशन के मामले में मप्र अभी देश में आठवें नंबर पर हैं। प्रदेश में सिर्फ पश्चिमी हिस्से यानी मालवा के इलाकों में ही विंड एनर्जी के सेटअप लगे हैं। प्रदेश के अन्य इलाकों के मुकाबले यहां हवा की रफ्तार ज्यादा रहती है।

हवा की कितनी गति जरूरी

विंड एनर्जी बनाने के लिए 3 से 15 मीटर प्रति सेकंड रफ्तार की हवा की रफ्तार सबसे ज्यादा सहायक होती है। अभी देवास-सोनकच्छ बेल्ट, उज्जैन, धार, आगर मालवा, शाजापुर और रतलाम जिले में हवा से बिजली बनाई जा रही है।

4.50 लाख करोड़ के करार में भी कम

प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए 4.50 लाख करोड़ के निवेश रूचि के प्रस्ताव बीते ग्लोबल इंवेस्टर समिट में आए थे। इनमें 95 फीसदी प्रस्ताव वैकल्पिक ऊर्जा के थे, लेकिन सबसे अधिक निवेश की रूचि सोलर एनर्जी में दिखाई गई। विंड एनजी में निवेश के प्रस्ताव कम थे। इसमें भी कुछ जगह काम्बो प्लान के तहत विंड प्लांट के प्रस्ताव आए थे। फिलहाल इस पर अधिक काम नहीं हो सका है।

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