भोपाल: मध्य प्रदेश में वित्त विभाग के कर्मचारियों ने ही सरकारी खजाने को 7 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया। 5 कर्मचारियों ने फर्जी दावे कर रिटायरमेंट के बाद के लाभ ले लिए। इन कर्मचारियों ने ऑनलाइन दावा पेश किया और उन्हें मंजूर कर गबन कर लिए। इनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जल्द ही उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में पांच सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ लेने के लिए फर्जी दावे करके लगभग सात करोड़ रुपए का गबन करने का मामला दर्ज किया गया है। जबलपुर के जिला कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बताया कि राज्य वित्त विभाग के स्थानीय निधि लेखा परीक्षा कार्यालय के पांच कर्मचारियों ने फर्जी सेवानिवृत्ति दावों को ऑनलाइन प्रस्तुत कर और उन्हें मंजूर कर 6,99,20,000 रुपए हड़प लिए।
उन्होंने बताया कि जांच के बाद संदीप शर्मा, सीमा अमित तिवारी, मनोज बरहैया, प्रिया और अनूप कुमार भौर्या को सरकारी खजाने से पैसे निकालने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया। कलेक्टर ने बताया कि कुछ मामलों में आरोपियों ने पैसे हड़पने के लिए अपने रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी दावे दायर किए। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
सक्सेना ने बताया कि फर्जी नामों से फर्जी बिलों का भुगतान 1 अप्रैल 2021 से 3 मार्च 2021 तक डिजिटल सिग्नेचर के जरिए ऑनलाइन किया गया। उन्होंने बताया कि भुगतान से जुड़े दस्तावेजों में विसंगतियां पाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने मामले की जांच के लिए आठ सदस्यीय कमेटी गठित की है।
अधिकारी ने बताया कि आरोपी अधिकारियों के खिलाफ दो दिन पहले ओमती थाने में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316 (5) (आपराधिक विश्वासघात), 319 (2) (छद्मवेश द्वारा धोखाधड़ी), 318 (4) (धोखाधड़ी), 338 (मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी), 336 (6) (जालसाजी), 340 (2) (जाली दस्तावेज), 61 (2) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ओमती पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।