नई दिल्ली : यमन में अमेरिकी एयर स्ट्राइक पर यूरोपीय देश आपस में बंट गए हैं. अमेरिका ने ब्रिटेन के साथ मिलकर जॉइंट ऑपरेशन में यमन पर बम बरसाए और फिर एक अन्य स्ट्राइक में दर्जनों ठिकानों को निशाना बनाया है. यमन में घुसकर हूती के ठिकानों पर हमले से क्षेत्रीय लड़ाई छिड़ सकती है और यूरोपीय देश यह बात बखूबी समझते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर हूतियों पर हमले से यूरोपीय देशों में मतभेद क्यों है?
लाल सागर में हूती के मिसाइल हमलों को रोकने और शिपिंग रूट की सुरक्षा के नजरिए से अमेरिकी और ब्रिटिश वायु सेना ने रातभर यमन के कई स्थानों पर हमले किए हैं. इससे पहले गुरुवार को राजधानी सना समेत चार शहरों में कमोबेश 73 ठिकानों को निशाना बनाया गया था. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और बहरीन ने लॉजिस्टिकल और इंटेलिजेंस सपोर्ट मुहैया कराए हैं.
इन यूरोपीय देशों ने किया हमले का बचाव
जर्मनी, डेनमार्क, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया ने हाल ही में एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रात भर के हमलों का बचाव किया गया. साथ ही हूती के पीछे नहीं हटने पर लाल सागर में आगे की कार्रवाई की चेतावनी दी. इटली, फ्रांस और स्पेन ने इससे किनारा कर लिया.
इटली ने अमेरिकी स्ट्राइक से क्यों बनाई दूरी?
इटली की प्रधानमंत्री ज्योर्जिया मेलोनी ने कहा कि इटली ने अटैक का बचाव करने वाले बयान से इनकार किया है और स्पष्ट किया कि अटैक के लिए विचार-विमर्श नहीं किया गया था. पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इटली ने दो कारणों से हमले से दूरी बनाई है. पहला ये कि इस तरह के स्ट्राइक के लिए इटली की संसद से अप्रूवल लेना जरूरी था और दूसरा – इटली लाल सागर में शांतिपूर्ण माहौल चाहता है. हालांकि, बाद में इटली ने एक बयान में स्पष्ट किया कि वे सहयोगी देशों के एयर स्ट्राइक का समर्थन करता है, जिन्हें अपनी शिप्स, ट्रेड रूट और लोगों की सुरक्षा का अधिकार है.
यमन रेड से फ्रांस क्यों हुआ दूर?
फ्रांस की तरफ से कहा जा रहा है कि उसके समर्थन से हिजबुल्ला और इजरायल के बीच चल रही शांति की बातचीत पटरी से उतर सकती है. मसलन, फ्रांस लगातार कोशिश में है कि लेबनान से हिजबुल्ला पूरी तरह से युद्ध में ना कूद जाए, जो क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. हाल के दिनों में फ्रांस लेबनान में शांति बनाए रखने की जद्दोजहद में जुटा है और डिप्लोमेटिक बातचीत पर जोर दे रहा है. इस बीच अमेरिका ने भी कहा है कि बम गिराने में भले ही कुछ देश शामिल नहीं थे लेकिन उसके सभी सहयोगी साथ हैं और एयर स्ट्राइक का समर्थन करते हैं. यह भी बता दें कि अमेरिकी स्ट्राइक के लिए फ्रांस ने हूती को ही जिम्मेदार ठहराया है.