कमाई के लिए लोग अलग-अलग काम करते हैं. वहीं रोजगार और बिजनेस के जरिए लोगों की कमाई होती है. इसी कमाई पर लोगों को टैक्स भी देना होता है. हर साल लोगों को इनकम टैक्स भी भरना होता है. अगर किसी की साल में होने वाली इनकम टैक्सेबल है तो उसे टैक्स भी चुकाना पड़ता है. लेकिन इनकम टैक्स भरते वक्त कई प्रकार की छूट भी हासिल होती है. अगर आपकी इनकम टैक्सेबल है तो भी आप ये छूट हासिल कर सकते हैं और टैक्स भी बचा सकते हैं.
इनकम टैक्स
दरअसल, वर्तमान में दो टैक्स स्लैब देश में मौजूद है. उन टैक्स स्लैब के हिसाब से लोगों की इनकम पर टैक्स लगाया जाता है. अलग-अलग इनकम वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग टैक्स स्लैब मौजूद है. वहीं सामान्य तौर पर 2.5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की इनकम पर टैक्स लगना शुरू हो जाता है. हालांकि 2.5 लाख से 5 लाख रुपये सालाना की इनकम पर छूट भी हासिल की जा सकती है. देश में दो टैक्स स्लैब हैं, जिनमें New Tax Regime और Old Tax Regime शामिल है. दोनों टैक्स व्यवस्था में अलग-अलग इनकम पर अलग-अलग दर से टैक्स भरने का प्रावधान है. हालांकि दोनों ही टैक्स स्लैब में लोगों को शुरुआती तौर पर रिबेट भी हासिल होती है.
इनकम टैक्स स्लैब
अगर कोई 60 साल से कम उम्र का नागरिक Old Tax Regime के हिसाब से टैक्स दाखिल करता है या फिर किसी भी उम्र का नागरिक New Tax Regime के हिसाब से टैक्स दाखिल करता है तो उसको 2.5 लाख रुपये सालाना की इनकम से लेकर 5 लाख रुपये सालाना की इनकम पर 5 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना होता है. हालांकि 5 लाख रुपये से कम या इसके बराबर शुद्ध कर योग्य आय वाले व्यक्ति धारा 87ए के तहत टैक्स रिबेट मिलती है यानी ऐसे व्यक्ति को 5 लाख की इनकम तक कोई भी टैक्स New Tax Regime या Old Tax Regime में नहीं देना होगा.
इनकम टैक्स स्लैब रेट
धारा 87A एक कानूनी प्रावधान है जो 1961 के आयकर अधिनियम के तहत कर छूट की अनुमति देता है. 2013 के वित्त अधिनियम के माध्यम से जो धारा सम्मिलित की गई थी, वह एक निर्दिष्ट सीमा से कम आय वाले व्यक्तियों के लिए कर राहत प्रदान करती है. धारा 87 ए प्रदान करती है कि कोई भी व्यक्ति जो भारत में रह रहा है और जिसकी आय 5,00,000 रुपये से अधिक नहीं है, वो रिबेट का दावा करने के लिए पात्र है. इस प्रकार कुल टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम वाले व्यक्तियों के लिए पूरा टैक्स छूट उपलब्ध है. यह छूट केवल व्यक्तियों पर लागू होती है, न कि कंपनियों आदि पर. साथ ही इसकी छूट की गणना 4% के स्वास्थ्य और शैक्षिक सेस को जोड़ने से पहले की जाती है.
इनकम टैक्स रिटर्न
धारा 87A को वित्त अधिनियम 2003 में पेश किया गया था जिसे समय-समय पर बदला गया था. वर्तमान में एक व्यक्तिगत करदाता, जो आयकर के उद्देश्य से भारत का निवासी है और उसकी सालाना इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा की नहीं है तो वो इनकम टैक्स में 12500 रुपये की रिबेट हासिल कर सकता है. 5 लाख रुपये की सालाना इनकम पर बनने वाले टैक्स की राशि भी 12500 रुपये होती है. ऐसे में लोगों का 5 लाख रुपये तक इस रिबेट के सहारे पूरा का पूरा इनकम टैक्स माफ हो जाता है. हालांकि, धारा 87ए के तहत छूट का दावा करने का अधिकार इस सीमा से अधिक होने पर पूरी तरह से खत्म हो जाता है.