हरिद्वार : योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि ने औषधियों व वनस्पतियों के घनसत्वों पर शोध किया और जो पूरी दुनिया से नहीं हो पाया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और माडर्न मेडिकल सिस्टम भी नहीं कर पाया, वह काम पतंजलि ने करके दिखाया है। आयुर्वेद के माध्यम से क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल करके एविडेंस बेस्ड मेडिसिन का दर्जा दिलाने का कार्य पतंजलि कर रहा है।
बाबा रामदेव ने कहा कि एक मिथक चल रहा था कि बीपी, डायबिटीज, सोराइसिस, अर्थराइटिस आदि रोगों के लिए आपको आजीवन दवा खानी पड़ेगी, स्टेराइड लेने पड़ेंगे। हमने इतिहास में पहली बार इस मिथक को गलत साबित करके दिखाया है। कहा कि हम रोगमुक्त बनाते हैं, दवामुक्त बनाते हैं और ऑपरेशन की 90 प्रतिशत संभावना को टाल सकते हैं, ये शक्ति है योग, आयुर्वेद व हमारे पूर्वजों के विज्ञान की।
यह बात बाबा रामदेव ने हरिद्वार स्थित पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद के अंतर को पाटने के लिए पतंजलि विवि स्थित सभागार में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलॉजी पर पुनर्विचार’ सम्मेलन के शुभारम्भ में कहीं।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लगभग आठ देशों से हमारे वैज्ञानिकगण इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए पधारे हैं। कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान में एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की बात की जाती है। हमने योग व आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन पर आधारित चिकित्सा विधा के रूप में स्थापित करने का बड़ा कार्य किया है।
यह तीन दिन का आयोजन उसी परम्परा, उसी कार्य को विश्व के महान वैज्ञानिकों के सम्मुख रखने का और उनसे कुछ नया सीखने का अवसर है। आचार्य ने कहा कि योगगुरु ने परोक्ष रूप से 80 से 100 करोड़ की जनसंख्या को योग के साथ जोड़ा है। आयुर्वेद में लगभग 1 करोड़ रोगियों का डॉटा इएमआर सिस्टम में हमारे पास उपलब्ध है। दुनिया के 70 प्रतिशत देश के रोगी पतंजलि में पहुंच चुके हैं।
अन्य पद्धतियों से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं
बाबा रामदेव ने कहा कि हमारी किसी भी अन्य पद्धति से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, हमारी प्रतिस्पर्धा स्वयं से है। उन्होंने कहा कि हम योग, आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, इण्डियन ट्रेडिशनल सिस्टम व सनातन जीवन पद्धति पर विश्वास करते हैं तथा इनको आत्मसात करके विभिन्न रोगों पर विजय प्राप्त करने वाले लगभग 5000 जीवंत उदाहरण हमेशा मेरे पास रहते हैं।