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Home राज्य

अयोध्या में सब बदल जाए, लेकिन नहीं बदलेगी सरयू नदी

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
30/12/23
in राज्य, समाचार
अयोध्या में सब बदल जाए, लेकिन नहीं बदलेगी सरयू नदी
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अयोध्या: साल 2024 में जनवरी 22 को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. ऐसे में लोग भगवान श्री राम से जुड़ी हर चीज के बारे में जानना चाह रहे हैं. इन दिनों अयोध्या में स्थित पवित्र सरयू नदी भी चर्चा में है. इस नदी में भगवान श्री राम ने स्वयं समाधि ली थी. भारत में न जानें कितनी पवित्र नदियां हैं. गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा जैसी नदियों ने अपना एक अलग स्थान बना लिया है. वहीं आयोध्या में स्थित सरयू नदी प्रभु श्री राम के वनवास से लेकर उनकी वापसी तक की साक्षी बनी है.

सरयू नदी का धार्मिक महत्व

सरयू नदी का वर्णन कई पुराणों में मिलता है. वामन पुराण के 13 वें अध्याय, ब्रह्म पुराण के 19 वें अध्याय और वायु पुराण के 45 वें अध्याय में बताया गया है कि गंगा, यमुना, गोमती, सरयू और शारदा नदी हिमालय से प्रवाहित होकर बहती है.  पुराणों के अनुसार सरयू और शारदा नदी का संगम तो हुआ ही है, सरयू और गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था.

ऐसे प्रगट हुई थी सरयू नदी

पुराणों में बताया गया है कि सरयू नदी भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रगट हुई थी. शास्त्रों में वर्णित है कि शंखासुर दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल दिया था और खुद भी उसी में छिप गया था. तब भगवान विष्णु ने मत्सय का रूप धारण कर दैत्य का वध किया था. वेदों के ब्रह्माजी को सौंपकर अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया था. उस समय खुशी से भगवान विष्णु की आंखों से प्रेमाश्रु टपक पड़े. श्री हरि की आंखु से निकले ये प्रेमाश्रु ब्रह्माजी ने मानसरोवर में डालकर उसे सुरक्षित कर लिया था. इस नदी का जल वैवस्वत महाराज ने बाण मारकर मानसरोवर से बाह निकाला था. यही जलधारा सरू नदी कहलाई.

पूजा में इस्तेमाल नहीं होता सरयू नदी का जल

रामायण के अनुसार सरयू नदी में प्रवेश कर भगवान श्री राम ने जल समाधि ले ली थी. वहीं, इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि भगवान श्री राम के सरयू में जल समाधि लेने पर शिवजी बहुत नाराज हुई थी. क्रोधित होकर शिव जी ने सरयू को श्राप दिया था कि तुम्हारे जल में आचमन करने पर भी लोगों को पाप लगेगा.  इतना ही नहीं, तुम्हारे जल में कोई स्नान नहीं करेगा. शिव जी के श्राप के बाद सरयू नदी इससे आहत होकर शिव जी से बोली मेरे जल में भगवान के जल समाधि लेने में मेरा क्या अपराध है. ये तो पहले से ही लिखित था. शिवज भगवान सरयू के तर्क से शांत हो गए और कहा कि मेरा शाप व्यर्थ नहीं जाएगा. भले ही तुम्हारे जल में स्नान करने से पाप नहीं लगेगा, लेकिन तुम्हारा जल पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

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