प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत उप-महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
पिछले एक वर्ष से अधिक समय के दौरान देश में कोरोना महामारी के चलते आर्थिक क्षेत्र के लगभग समस्त खंड विपरीत रूप से प्रभावित हुए हैं। सेवा (पर्यटन, होटल, यातायात, आदि) एवं उद्योग क्षेत्र तो विशेष रूप से अधिक प्रभावित हुए हैं। परंतु, केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को विकसित करने के उद्देश्य से मिशन मोड में लगातार किए जा रहे प्रयासों के कारण कृषि क्षेत्र कोरोना काल के बीच भी विपरीत रूप से प्रभावित नहीं हुआ है। कृषि क्षेत्र में न केवल उत्पादन में लगातार वृद्धि दृष्टिगोचर है बल्कि कृषि उत्पादों का निर्यात भी लगातार प्रभावशाली तरीके से बढ़ता जा रहा है। हाल ही में जारी किए गए, कृषि क्षेत्र से हो रहे निर्यात से सम्बंधित आंकड़ों के अनुसार, अप्रेल 2020 से फ़रवरी 2021 के दौरान कृषि उत्पादों का निर्यात 2.74 लाख करोड़ रुपए का रहा है जो अप्रेल 2019 से फरवरी 2020 के दौरान 2.31 लाख करोड़ रुपए का रहा था। इस प्रकार कृषि उत्पादों के निर्यात में वर्ष 2020-21 (अप्रेल-फरवरी) के बीच 18.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष रूप से गेहूं, चावल, अन्य अनाज, सोयामील, मसाले, चीनी, कपास, ताजी सब्जियां, संसाधित सब्जियां एवं अलकोहलिक पेय पदार्थ के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
कृषि के क्षेत्र में भारतीय किसान ने अपनी मेहनत के बल पर एवं सरकारी नीतियों को लागू करते हुए, कृषि उत्पादों की पैदावार को मांग की तुलना में आपूर्ति अधिक की श्रेणी में ला खड़ा किया है। अब भारतीय कृषि क्षेत्र में उत्पादों की पैदावार में आधिक्य रहने लगा है और देश के किसान लगातार साल दर साल बहुत अच्छा उत्पादन करते दिख रहे हैं। विशेष रूप से सरकारी नीतियां एवं उत्पादकता में हो रही वृद्धि भी इस बढ़ती पैदावार में अहम भूमिका अदा कर रही है। भारत में कोरोना महामारी का कृषि क्षेत्र पर लगभग नगण्य प्रभाव पड़ा है।
हमारे उत्तर पूर्वी राज्यों ने बागवानी की पैदावार में गुणवत्ता की दृष्टि से बहुत विकास किया है। इन राज्यों से बागवानी से हुई पैदावार का बहुत निर्यात हो रहा है, विशेष रूप से दुबई आदि देशों को। विशेष रूप से फल एवं सब्जियां बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं, अतः इनके भंडारण के लिए बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विकास किया जा रहा है ताकि इन पदार्थों का उचित भंडारण किया जा सके। आगे आने वाले 5 से 10 वर्षों में भारत कृषि उत्पादों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक मुख्य निर्यातक देश बन सकता है। अब तो देश में कांटैक्ट फार्मिंग भी होने लगी है। इससे भी कृषि उत्पादन में बहुत फर्क पड़ने वाला है।
भौगोलिक संकेत (जीओग्राफी इंडिकेशन – GI टैग) योजना का भी कृषि उत्पादन बढ़ाने में बहुत योगदान रहा है। इस योजना के अंतर्गत एक विशेष क्षेत्र में, उसके मौसम को देखते हुए, एक विशेष उत्पाद की पैदावार को बढ़ावा दिया जाता है। जिसके कारण उस उत्पाद की उत्पादकता बहुत बढ़ जाती है। बासमती चावल इसी प्रकार का उत्पाद है। विदेशों से आने वाले सैलानी भी भारत के विशेष उत्पादों को खरीदना चाहते हैं। GI टैग इसमें मुख्य भूमिका निभाता है। इससे भारतीय उत्पादों में अन्य देशों का विश्वास बढ़ता है और देश के लिए निर्यात बढ़ाने में भी इसकी भूमिका बढ़ जाती हैं।
केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं कृषि संस्थानों ने कृषि के क्षेत्र को कई तरह के प्रोत्साहन उपलब्ध कराए हैं। इसके लिए विशेष रूप से कई नई योजनाएं भी लागू की गई हैं। कृषि उत्पादों की गुणवत्ता में बहुत सुधार किया गया है, जिसके चलते भी विदेशों में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान कृषि मज़दूरों का भी विशेष ध्यान रखा गया, जिसके चलते कृषि पैदावार में वृद्धि हो पाई है। यह पता करने के लिए कि किन किन देशों में किस किस कृषि उत्पाद की कमी है, विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों की भी मदद ली गई है, ताकि इन देशों को कृषि उत्पाद भारत से उपलब्ध कराये जा सके। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग एवं निर्यात के लिए सम्पर्क तंत्र को मजबूती प्रदान की गई। कृषि उत्पाद के विदेशी खरीदारों एवं भारत के किसानों की आपस में मीटिंग कराई गई। इसके लिए एक पोर्टल भी बनाया गया है ताकि क्रेता एवं विक्रेता सीधे ही एक दूसरे से माल खरीद एवं बेच सकें। इस संदर्भ में किसानों ने भी कम मेहनत नहीं की है। आत्मनिर्भर भारत, वोकल फोर लोकल एंड लोकल से ग्लोबल, जैसे नारों ने भी देश से कृषि उत्पादों के निर्यात में लगातार हो रही वृद्धि में अपनी अहम भूमिका अदा की है।
अब तो दक्षिणी अमेरिकी देशों एवं अमेरिका को भी कृषि उत्पादों का निर्यात किया जाने लगा है। अफ्रीकी देशों को भी कृषि उत्पादों के निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है। उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों का भी निर्यात अब तेजी से बढ़ रहा है जैसे आम, अंगूर, आदि पदार्थ यूरोपीयन देशों एवं अमेरिका को निर्यात किए जा रहे हैं। अंगूर का निर्यात हाल ही में शुरू किया गया है। जापान, दक्षिणी कोरीया जैसे देशों में भी अब भारतीय कृषि उत्पादों के प्रति रुझान बढ़ रहा है।
भारत, भौगोलिक दृष्टि से एक बड़ा देश है एवं भारत में अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग मौसमी परस्थितियां हैं जिसके कारण बहुत अलग अलग किस्म के कृषि उत्पाद भरपूर मात्रा में पैदा किये जा सकते हैं। अपने देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए शेष आधिक्य का देश से निर्यात आसानी से किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय मानदंडो के अनुसार ही अब देश में कृषि उत्पादों की पैदावार ली जा रही है। बासमती चावल की मांग इसी कारण से विदेशों में लगातार बढ़ती जा रही है और इसका निर्यात भी बढ़ता जा रहा है। भारत में उत्पादित अनाज की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। समुद्रीय उत्पादों की मांग भी बढ़ती जा रही है। देश में उत्पादकता बढ़ रही है, जिसके कारण उत्पादन बढ़ रहा है। 16 राज्यों ने कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं बनाई हैं। आंध्रप्रदेश ने केला का निर्यात बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं बनाई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी आम, अन्य फलों एवं सब्जियों के निर्यात को बढ़ाने के लिये कई योजनाएं बनाई हैं। कृषि निर्यात नीतियों को राज्य स्तर पर बनाने का भी फायदा हुआ है।
कृषि पदार्थों की आपूर्ति बनाए रखना भी केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जाना चाहिए। देश के किसी भी कोने में सामान्यतः कृषि उत्पादों की उपलब्धता में कमी नहीं आने दी गई। केंद्र सरकार का आपूर्ति प्रबंधन बहुत ही शानदार रहा है। अन्यथा की स्थिति में मुद्रा स्फीति की दर बहुत तेज हो सकती थी। कई बार तो कृषि उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाई गई और हवाई जहाज तक से भी कृषि उत्पादों की ढुलाई की गई। दूध, फल एवं सब्जियों की उपलब्धता लगातार बनाए रखते हुए देश से कृषि उत्पादों का निर्यात भी तेज गति से बढ़ रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में कई देशों में कृषि उत्पादों के उत्पादन को लेकर कुछ समस्याएं खड़ी हुई हैं, ऐसे समय में भारत ने इन देशों को खाद्य पदार्थों को उपलब्ध कराकर इन देशों की समस्यायों को कम करने का सफल प्रयास किया है। अब तो ये सभी देश खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। भारत का आपूर्ति प्रबंधन न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहनीय रहा है।
केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें अब आपस में मिलकर कार्य कर रही हैं। उत्तर पूर्वी राज्य भी इस मामले में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। देश में कांटैक्ट फ़ार्मिंग को और भी गति देनी होगी, इसका बहुत फायदा मिल सकता है। गुणवत्ता में सुधार करने की अभी भी गुंजाइश है। वैश्विक स्तर पर भारतीय कृ