रायपुर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पार्टी नेताओं के स्वजन को चुनावी राजनीति में नहीं उतारने के संदेश का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर भी पड़ने वाला है। प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के बस्तर प्रवास के दौरान हुए कार्यक्रम में इसकी झलक दिखी है। पीएम के इस संदेश से प्रदेश में अपने दम पर राजनीति कर रहे नेता जहां खुश हैं, वहीं बेटा-बेटियों को राजनीति में लाने की तैयारी कर रहे नेताओं को झटका लगा है। प्रदेश के कई बड़े नेता अपनी सेहत और उम्र का हवाला देकर स्वजन को राजनीति में उतारना चाह रहे हैं। अब ऐसे नेता पुत्रों की राजनीति पर असमंजस के बादल छा गए हैं।
अपने दम पर राजनीति कर रहे नेताओं की बढ़ी उम्मीद
इधर, नेता पुत्रों की इंट्री पर रोक लगने की चर्चा से संघर्षशील कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ गया है। परिवार की राजनीति से हटकर भाजपा से जुड़े नेताओं को यह उम्मीद है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कई सक्रिय नेताओं को टिकट भी मिल सकती है। पार्टी अनुशासन का हवाला देते हुए कोई भी नेता इस मामले में आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से बच रहा है।
भाजपा की राजनीति में पूर्व मंत्री रामविचार नेताम, प्रेमप्रकाश पांडेय और गौरीशंकर अग्रवाल के साथ कुछ और नेता अपने बेटा-बेटियों को सक्रिय राजनीति में लाने की तैयारी में हैं। स्वजन के लिए टिकट की मांग करने की तैयारी कर रहे ज्यादातर नेताओं का कहना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है। हमारे स्वजन भी कार्यकर्ता के रूप में लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए इसे वंशवाद से जोड़ना ठीक नहीं है। बाकी पार्टी का जो फैसला होगा, उसे स्वीकार किया जाएगा।