हल्द्वानी. नए साल की शुरुआत किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है. सरकार ने किसानों को सहूलियत देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनसे कृषि क्षेत्र को बड़ा लाभ हो सकता है. सरकार ने किसानों को सस्ती खाद मुहैया कराने के लिए डीएपी (डाय-अमोनियम फास्फेट) के दामों में बढ़ोतरी न करने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत किसानों को 50 किलोग्राम की डीएपी की बोरी 1,350 रुपये में मिलेगी.
नहीं चुकानी होगी ज्यादा कीमत
बता दें कि पूर्व में सरकार द्वारा नए साल से डीएपी के दाम में दो सौ रुपए की बढ़ोत्तरी होने वाली थी. लेकिन अब सरकार कोई भी पैसे नहीं बढ़ा रही है. सरकार की ओर से डीएपी फर्टिलाइजर बनाने वाली कंपनियों के लिए स्पेशल पैकेज को मंजूरी दी गई है. इससे किसानों को डीएपी के लिए अधिक कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी. आइए जानते है इस मामले में हल्द्वानी के किसानों का क्या कहना है.
डीएपी उर्वरक के बैग की कीमत?
किसानों को 50 किलोग्राम डीएपी उर्वरक का बैग 1350 रुपये में ही मिलेगा, जो अतिरिक्त भार आएगा उसको सरकार वहन करेगी. वैसे इस एक बैग की कीमत तीन हजार रुपये के करीब है. इसके लिए एक समय में 3850 करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी. अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीएपी की कीमतों में उतार-चढ़ाव है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसका असर भारत के किसानों पर नहीं पड़ेगा.
क्या है डीएपी
डीएपी का मतलब डाइ-अमोनियम फॉस्फेट है. ये एक तरीके का फर्टिलाइजर है जो फसल और पौधों के लिए फास्फोरस और नाइट्रोजन का एक अहम सोर्स है. डीएपी को पानी में घोलकर बनाया जाता है और पेड़-पौधों में छिड़का जाता है. फसलों के लिए ये बहुत जरूरी है और किसानों के बीच इसकी जमकर डिमांड रहती है.
किसानों को होगा फायदा
किसान प्रवीण कार्की ने कहा कि ‘सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. इस फैसले से न सिर्फ खाद की कीमतें स्थिर रहेंगी, बल्कि किसानों को बेहतर बीमा सुविधाएं और आर्थिक मदद भी मिल सकेगी. इन कदमों से खेती के क्षेत्र में किसानों की स्थिति मजबूत होगी और उनका जीवन स्तर सुधरेगा. हम सरकार का आभार व्यक्त करते है कि उन्होंने हमारे बारे में सोचा और डीएपी के दामों को स्थिर रखा.’
किसान डुंगर सिंह बिष्ट ने कहा कि ‘हम सरकार का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने डीएपी फर्टिलाइजर के दाम नहीं बढ़ाए. ऐसा करने से किसानों को काफी फायदा होगा. पहले से ही किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इतने महंगे बीज व अन्य दवाएं, खाद आती हैं और अगर ऊपर से डीएपी के दाम भी बढ़ जाते तो हम कैसे काम करते. हम सरकार का आभर व्यक्त करते हैं कि उन्होंने हमारे बारे में भी सोचा.’