देहरादून: उत्तराखंड में कोऑपरेटिव के माध्यम से किसानों को सुलभ फसली ऋण मिल सके, इसके लिए लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं. इसी कड़ी में आज 11 मार्च को सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना कार्यालय में कोऑपरेटिव विभाग और नाबार्ड के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान जहां एक तरफ किसानों को फसली ऋण मुहैया कराने और तमाम सुविधाएं देने की बात हुई तो वहीं समितियों और बैंक की ऋण रिकवरी में तेजी लाने के लिए भी कहा गया.
उत्तराखंड में सहकारी विभाग किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर अहम भूमिका निभा रहा है. इसके लिए समय-समय पर किसानों के हितों से जुड़ी तमाम योजनाएं भी विभाग की तरफ से चलाई जाती रही हैं. इस दौरान किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराना भी सहकारिता का उद्देश्य रहा है और इसके लिए तमाम बड़े फैसले भी लिए जाते रहे हैं.
सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने नाबार्ड और कोऑपरेटिव विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए किसानों को फसली ऋण में सहूलियत देने के निर्देश दिए. इस दौरान धन सिंह रावत ने कहा कि टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में फसली ऋण को बढ़ाया जाना चाहिए. सहकारी बैंकों के जीएम भी फसली ऋण देने के लिए आगे आएं. इसके अलावा समय पर ऋण चुकाने वालों से ब्याज नहीं लिया जाए.बता दें कि सहकारी बैंक और इंपैक्स से फसली ऋण साल भर में दो बार दिए जाते हैं. किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक उर्वरक और उपकरणों के लिए भी सहकारी बैंकों के माध्यम से कम समय और अधिक समय के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता है. इस दौरान सहकारी बैंक के लिए भी ट्रांसफर पॉलिसी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.
उधर पौड़ी और हरिद्वार समेत दूसरे जिलों में एटीएम वैन का अधिक उपयोग करने के लिए भी दिशा निर्देश दिए गए हैं. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड देश के उन राज्यों में हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा एनपीए रिकवर किया है. इस दौरान नाबार्ड के अधिकारियों की तरफ से भी कोऑपरेटिव बैंक में जिला स्तर पर विशेषज्ञ निदेशकों की नियुक्तियां करने के लिए कहा गया. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बैठक के दौरान सहकारिता विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी नाबार्ड के अधिकारियों की तरफ से मदद किए जाने की बात कही गई.
इस दौरान सचिव सहकारिता बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि समीक्षा बैठक के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है. इसमें पैक्स समितियों के घाटे में जाने से जुड़े विषय पर भी मंथन किया गया और समितियां क्यों घाटे में जा रही हैं, इस पर चिंतन करते हुए इसका समाधान निकालने की कोशिश की गई.