नई दिल्ली: कश्मीर में आतंकवादी भेजने वाले पाकिस्तान (Pakistna) को डराने वाली एक और खबर आई है. जल्द ही भारत और रूस (Russia) मिलकर पांचवीं पीढ़ी का विमान (5th Generation Jet) बना सकते हैं. ये ऐसा फाइटर जेट होगा जिसे दुश्मन सेना ना तो देख पाएगी, ना पता लगा पाएगी और ना ही उसपर हमला कर पाएगी. भारत-रूस मिलकर पहले ब्रह्मोस मिसाइल बना चुके हैं. अब अगर भारत में इस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट का प्रोडक्शन हुआ तो ये दुश्मनों के लिए बहुत बुरी खबर है.
भारत-रूस मिलकर बनाएंगे ‘अदृश्य’ फाइटर जेट!
संभावना है कि भारत में पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट का निर्माण जल्द शुरू हो सकता है. रूसी अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि रूस के सबसे आधुनिक सुखोई-57 फाइटर जेट के भारत के साथ साझा उत्पादन पर बात चल रही है. भारत और रूस दो दशक से पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट (FGFA) के साझा उत्पादन के बारे में चर्चा कर रहे हैं. पर 2018 में ये बातचीत रुक गई थी. अब इसके दोबारा शुरू होने से संभावना बन रही है कि FGFA का निर्माण भारत में शुरू हो सकता है.
FGFA फाइटर जेट है कितना खतरनाक?
जान लें कि FGFA एक ऐसा फाइटर जेट होता है जिसे रडार पर देखा न जा सके, जो बहुत देर तक सुपरसोनिक यानी आवाज की रफ्तार से चल सके, उसके हथियार ऐसे हों जिससे जमीन, आसमान और समुद्र में हमला किया जा सके और खतरे को भांपकर खुद फैसला कर सके. ये वो एयरक्राफ्ट होंगे जो सुखोई 30MKI और रफाल जैसे फाइटर प्लेन से भी ज्यादा घातक होंगे और भविष्य की चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम होंगे.
इंडियन एयरफोर्स का पहला Stealth विमान
ये विमान ना सिर्फ हल्का होगा. बल्कि रडार की नजरों से ओझल होकर उडान भरने की काबिलियत रखेगा. अगर ये डील फाइनल हुई तो ये इंडियन एयरफोर्स का पहला Stealth विमान होगा, यानी ऐसा विमान जिसे रडार देख नहीं पाएंगे. पिछले कुछ सालों में पांचवीं पीढ़ी यानी लेटेस्ट लड़ाकू विमानों ने हवाईयुद्ध के मायने बदल दिए हैं. दुनिया की हर पावर अब पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाना चाहती है.
यूक्रेन से जंग में दिखा चुका है जलवा
इस समय दुनिया में अमेरिकी F-35 और F-22, चीन का चेंगदू-20 के अलावा रूसी सुखोई-57 पांचवी पीढ़ी के सबसे अच्छे फाइटर जेट्स हैं. कई और देश भी ऐसे जेट्स बनाने की कोशिश में लगे हैं. रूस ने 2020 में सुखोई-57 को अपनी वायुसेना में शामिल किया है और उसे सीरिया के अलावा यूक्रेन युद्ध में अपनी ताकत दिखाई है.
किससे बना है Su-57 फाइटर जेट?
सुखोई Su-57 का निर्माण Carbon Fibers जैसे Composite Material से किया गया है. इसलिए दुश्मनों के Radar पर ये विमान टेनिस की छोटी बॉल के आकार का नजर आएगा और इस खासियत को Stealth तकनीक कहा जाता है. इसकी वजह से कोई दुश्मन Su-57 को आसानी से निशाना नहीं बना पाएगा.
सुखोई-57 एक बार में 10 टन से ज्यादा वजन के हथियार ले जा सकता है. 66000 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. मैक 2 यानी आवाज से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भर सकता है और 3500 किलोमीटर तक बिना अतिरिक्त ईंधन के उड़ान भर सकता है.
इस विमान में एक बार में 12 हथियार लगाए जा सकते हैं जिनसे यह जमीन, आसमान या समुद्र में किसी भी निशाने को तबाह कर सकता है. भारत और रूस ने 2007 में साथ मिलकर FGFA के साझा उत्पादन की चर्चा शुरू की थी. लेकिन 2018 तक इस बारे में कोई फैसला नहीं हो पाया. सूत्रों के मुताबिक, भारत पहले FGFA की क्षमता को देखना चाहता था और उसके बाद ही किसी समझौते तक पहुंचना चाहता था.
रूस ने 2020 में सुखोई-57 को अपनी वायुसेना में शामिल करना शुरू किया और इसके बाद इस बातचीत के दोबारा शुरू होने की खबर आई है. भारत ने 250 से ज्यादा सुखोई-30 जेट्स का हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नासिक प्लांट में उत्पादन किया है. इसलिए भारत में सुखोई-57 का उत्पादन शुरू करना आसान है.
अभी भारत के पास सुखोई-30 के अलावा फ्रांस से आयातित रफाल फाइटर जेट्स हैं जो चौथी पीढ़ी के माने जाते हैं. चीन इस समय अपनी वायुसेना में Stealth तकनीक से लैस फाइटर जेट्स को शामिल कर रहा है. अमेरिकी वायुसेना भी पांचवीं पीढ़ी के विमानों की मदद से दुनिया की नंबर वन सुपरपावर बनी हुई है. अगर भविष्य के लड़ाकू विमानों को भारत में ही बनाने का समझौता हुआ तो भारतीय वायुसेना को दुश्मनों की आंख से ओझल होने की शक्ति मिल जाएगी.