नई दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री के दस्तखत के बिना एलजी दफ्तर में आने वाली फाइलों पर ऐतराज जताया है। अपनी चिट्टी में एलजी ने लिखा है कि बिना मुख्यमंत्री के दस्तखत के आने वाली फाइलें लौटाई जाएंगी।
दिल्ली के एलजी की ओर से सीएम केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा गया है, आपके कार्यालय द्वारा मेरे अनुमोदन/राय के लिए टिप्पणी के साथ प्रस्ताव भेजे गए हैं “मुख्यमंत्री ने इस तरह के प्रस्तावों को देखा और अनुमोदित किया है’, इस तरह के कम्युनिकेशन की अत्यावश्यकता के आधार को बताए बिना…. यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि प्रस्तावों पर आपके द्वारा विधिवत हस्ताक्षर किए जाने चाहिए।”
एलजी ने अपने पत्र में लिखा, अरविंद केजरीवाल जी, यह देखा गया है कि हाल के महीनों में, नियमित रूप से आपके कार्यालय द्वारा मेरे अनुमोदन के लिए या मेरी राय के लिए संविधान के अनुच्छेद 239AA (4) के तहत आपके संयुक्त सचिव द्वारा बड़ी संख्या में प्रस्ताव सचिव या अतिरिक्त सचिव द्वारा भेजे गए हैं, इस टिप्पणी के साथ कि इस तरह के कम्युनिकेशन की तात्कालिकता के किसी भी आधार को बताए बिना कि “माननीय सीएम ने प्रस्ताव को देखा और अनुमोदित किया है”।
इस संबंध में, कार्यालय प्रक्रिया नियमावली, 2022 के पैरा 7.11 (iv) की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसमें प्रावधान है कि ‘दुर्लभ और अत्यावश्यक मामलों में’ जब मंत्री दौरे पर होते हैं/बीमार होते हैं और उनकी स्वीकृति लेनी होती है। टेलीफोन पर, मंत्री के निर्णय को उनके निजी सचिव द्वारा लिखित रूप में सूचित किया जाएगा। ऐसे मामलों में, मंत्री के मुख्यालय में लौटने/फिर से कार्यभार ग्रहण करने पर पुष्टिकरण ऑनफाइल प्राप्त किया जाएगा।
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, आपके अधिकारियों के हस्ताक्षर के तहत नियमित आधार पर फाइलें जमा करने की वर्तमान प्रथा को रोकने की आवश्यकता है क्योंकि आपके हस्ताक्षर की अनुपस्थिति में, यह स्पष्ट नहीं है कि आपके द्वारा प्रस्ताव को देखा गया अथवा नहीं और अनुमोदित किया गया है। इसके अलावा, आपके कार्यालय से संयुक्त / अपर सचिव के स्तर पर फाइलें प्राप्त होने पर, एलजी सचिवालय भी अधिकारियों के स्तर पर मेरे निर्णय को संप्रेषित करने के लिए बाध्य है।
अतः सुचारु और प्रभावी शासन के हित में यह सुनिश्चित किया जाए कि आपके कार्यालय द्वारा मेरे विचार या अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों पर, जैसा भी मामला हो, आपके स्वयं द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित होने चाहिए। मैं यह भी सुझाव देना चाहूंगा कि आपका कार्यालय जल्द से जल्द ई-ऑफिस प्रणाली शुरू करने पर विचार कर सकता है ताकि फाइलों की निर्बाध आवाजाही को सक्षम बनाया जा सके।
वहीं, उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से लोकसभा सांसद और पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने उपराज्यपाल को ट्वीट करके लिखा है, ”सीएम अरविंद केजरीवाल न केवल खुद को एक पोर्टफोलियो से दूर रखते हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और गबन के लिए अवैध फैसलों से खुद को बचाने के लिए सीएम के रूप में फाइलों पर हस्ताक्षर भी नहीं करते हैं। वाह.. एलजी सर की इस चिट्ठी से दूध का दूध और शराब का शराब होना शुरू हो गया है।”