मनोज रौतेला की रिपोर्ट:
ऋषिकेश : देहरादून पहुंची पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस, 80 एमटी ऑक्सीजन लेकर पहुंची देहरादून के हर्रावाला रेलवे स्टेशन. झारखण्ड के टाटा नगर से ऑक्सीजन लेकर पहुंची रेल गाडी. ऑक्सीजन एक्सप्रेस राज्य में पहुँचने से उत्तराखण्ड को ऑक्सीजन आपूर्ति में काफी मदद मिलेगी। देर शाम पहुंची ऑक्सीजन एक्सप्रेस देहरादून.
इससे पहले हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी, ये कैसा मैनेजमेंट है ?
कोर्ट ने कहा उत्तराखंड के 3 प्लांटों में रोजाना 300 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सिजन का उत्पादन हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड को ऑक्सिजन सप्लाई के लिए दूसरे राज्यों की ओर देखना पड़ रहा है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि ये कैसा मैनेजमेंट है।
कोर्ट का कहना है कि ऑक्सिजन बनाने के बाद भी सूबे को रोजाना किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।सूबे में ऑक्सिजन की कमी का कारण यह है कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए ऑक्सिजन का कोटा तय कर दिया है। ऐसे में यहां तैयार हो रही जीवनदायिनी गैस दूसरे राज्यों को जा रही है।उत्तराखंड को अन्य राज्यों से ऑक्सिजन लेनी पड़ रही है। इस लाने के लिए अभी कंटेनर पूरे नहीं हैं।
सूत्रों का कहना है कि अभी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के अनुपात में ऑक्सिजन की कमी नहीं है लेकिन भविष्य में यदि मरीजों की संख्या बढ़ती है तो फिर ऑक्सिजन को लेकर स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है।
वहीँ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट किया, उत्तराखण्ड के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई ऑक्सीजन एक्सप्रेस आज रात्रि हरिद्वार पहुंच चुकी है।पहली खेप में 80 मिट्रिक टन ऑक्सीजन हमारे राज्य को मिली है। टाटानगर झारखण्ड से उत्तराखण्ड पहुंची इस विशेष ट्रेन से ऑक्सीजन की निकासी कल प्रातः 5 बजे से की जायेगी।कोरोना से लड़ाई लड़ने में उत्तराखण्ड को केन्द्र सरकार का भरपूर सहयोग मिल रहा है। इसके लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी और माननीय रेल मंत्री श्री @PiyushGoyal जी का हृदय से आभार प्रकट करता हूं।
ऊपर से राज्य सरकार के पास मेडिकल स्टाफ, जैसे डॉक्टर, नर्सें टैक्नीशियन की भारी कमी है. एक अनुमान के अनुसार बताया जा रहा है वर्तमान समय में कम से कम 2000 डॉक्टर और 5000 नर्सों की तत्काल जरुरत है. आपदा ग्रस्त राज्य में हेल्थ के मामले में काफी पीछे हैं उत्तराखण्ड. लेकिन सरकार शांत बैठी है. इनको सीधे तौर पर बुलाना चाहिए सरकार को. सरकार के पास डाटा भी रखा हुआ है सबका.बेरोजगार युवा घर बैठे हैं या इधर उधर धक्के खा रहे हैं लेकिन उनको सरकार बुला नहीं रही हैं. जबकि उनको नियक्ति देना चाहिए सरकार को तत्काल प्रभाव से.