नैनीताल। हाई कोर्ट ने रामनगर में अवैध खनन करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मौखिक तौर पर शपथ पत्र के माध्यम से अवैध खनन को रोकने के लिए प्लान प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले प्लान पेश करें, उसके बाद पूर्व के आदेश को संशोधन करने पर विचार किया जा सकता है। कोर्ट ने तमाम जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।
एंटी माइनिंग फोर्स गठित करने का दिया था निर्देश
पूर्व में हाई कोर्ट ने अवैध खनन पर रोक लगाते हुए एंटी माइनिंग फोर्स गठित करने को कहा था। नदियों में ड्रेजिंग पर रोक लगाते हुए कहा था कि नदियों में ड्रेजिंग सरकारी एजेंसियां ही करेंगी। ड्रेजिंग के दौरान उनसे निकलने वाली माइनिंग सामग्री का परिवहन नहीं किया जाएगा।
पूर्व में आया था ये फैसला
गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने नदियों में मशीनों से खनन पर रोक से संबंधित आदेश में संशोधन को लेकर प्रार्थना पत्र पेश किया।
जिसमें कहा गया कि इस आदेश को संशोधित किया जाय क्योंकि कोर्ट ने ड्रेजिंग के दौरान निकलने वाली माइनिंग सामग्री को बाहर ले जाने की अनुमति पर भी रोक लगाई हुई है। जिसकी वजह से राज्य सरकार को हर साल करीब पांच सौ करोड़ का नुकसान होने के साथ ही विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
पेश की गई थी रिपोर्ट
कोर्ट ने पूर्व में अवैध खनन की जांच के लिए अधिवक्ता आलोक मेहरा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए दो सप्ताह में स्थलीय निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट दाखिल कराने को कहा था। गुरुवार को कोर्ट कमिश्नर की ओर से रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें कहा गया कि अवैध खनन से नदी तल पर बड़े बडे़ गड्ढे हुए हैं।
अवैध खनन के खिलाफ डाली थी जनहित याचिका
गुलजारपुर निवासी प्रीतपाल सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि ऊधमसिंह नगर जिले में रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत गुलजारपुर के जंगलों से लगातार अवैध खनन हो रहा है। इसे तत्काल रोका जाए क्योंकि इससे वन संपदा को भी नुकसान हो रहा है। हल्द्वानी के गगन पराशर की जनहित याचिका पर कोर्ट ने नदियों में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी थी।