वाशिंगटन: संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए नवंबर में होने वाले चुनावों से पहले 27 जून (गुरुवार) को पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट टेलीविजन पर होगी. फिलहाल राष्ट्रीय जनमत सर्वेक्षणों में डेमोक्रेट उम्मीदवार और निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके रिपब्लिकन चैलेंजर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगभग बराबरी पर हैं.
वहीं, टेलीविजन बहस में बातचीत के टॉपिक से दोनों दिग्गज मीडिया और तमाम राजनेताओं को समान रूप से मदद करेंगे जो आखिरकार कई मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं. सीएनएन पर होने वाली अमेरिकी प्रेसिडेंशियल डिबेट से पहले पूरी दुनिया के जागरूक लोगों का ध्यान खासकर इन पांच प्रमुख मुद्दों पर फोकस रहने वाला है.
उम्मीदवारों की मानसिक स्थिति
उम्र के लिहाज से जो बाइडेन 81 साल के और डोनाल्ड ट्रंप 78 साल के हैं. ये दोनों अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ने वाले अब तक के दो सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं. दोनों को राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका के लोगों की सेवा करने के लिए उनकी योग्यता के बारे में सवालों का सामना करना पड़ता है. जो बाइडेन और डेमोक्रेट नेता डोनाल्ड ट्रंप को लोकतंत्र के लिए खतरा कहते हैं. ट्रंप की बातों में बहक जाने की प्रवृत्ति और कभी-कभी नामों को भूल जाना या किसी और का नाम लेना वगैरह ने लोगों की भौंहें चढ़ा दी हैं.
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने जो बाइडेन को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के रूप में पहचानने की गलती की थी. लेकिन इस बीच प्राइमरी चुनाव के मतदान से ऐसा लगता है कि जो बाइडेन की उम्र, और मानसिक और शारीरिक क्षमता अमेरिका के मतदाताओं के लिए सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है. आलोचकों का कहना है कि बाइडेन स्लो हो रहे हैं. उनके कार्यकाल के दौरान जुबान फिसलने की एक पूरी सीरीज लोगों के सामने है. ट्रंप ने भी बार-बार बाइडेन का मजाक उड़ाया है. ट्रंप ने कई बार बाइडेन को बूढ़ा कहा है और उनको एक आकर्षक उपनाम “स्लीपी जो” से पुकारना शुरू कर दिया है.
स्वभाव की जांच और दोनों के रवैए का अंतर
जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही अपने गुस्से और अधीरता के लिए जाने जाते हैं. ट्रंप राष्ट्रपति की आड़ में आने के लिए बाइडेन के बेटे हंटर का इस्तेमाल कर सकते हैं. हंटर को हाल ही में अवैध रूप से बंदूक खरीदने के लिए नशीली दवाओं के उपयोग के बारे में झूठ बोलने का दोषी ठहराया गया था. जबकि बाइडेन ऐसे हमलों के आदी हैं. दर्शक देखेंगे कि क्या वह ऐसे मुश्किल सवालों के बीच भी अपना संतुलन बनाए रख सकते हैं या नहीं. वहीं, ट्रंप को भी सावधान रहना होगा, ताकि वह एक बड़ा और बुरा बदमाश बनकर उदारवादी मतदाताओं को निराश न कर दें. अनुभवी रिपब्लिकन वाद-विवाद सलाहकार ब्रेट ओ’डॉनेल ने बताया, “आप इतने आक्रामक नहीं हो सकते कि आप असभ्य हो जाएं और ऐसा लगे कि आप अपने प्रतिद्वंद्वी को कुचल रहे हैं.”
डिबेट के दौरान दुष्प्रचार
डोनाल्ड ट्रंप अपने भाषणों और बयानों में झूठ का प्रचार करने के लिए कुख्यात हैं. बाइडेन भी कुछ बड़ी कहानियां सुनाने के लिए जाने जाते हैं. प्रेसिडेंशियल डिबेट में किसी भी व्यक्ति के एक से अधिक झूठे दावे शामिल होने की संभावना है. लेकिन विरोधी उम्मीदवार के लिए मंच पर रिकॉर्ड को सही करने का प्रयास करना जोखिम भरा है, क्योंकि समय बहुत सीमित है. बल्कि, फैक्ट चेक का काम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के इलेक्शन कैंपेन मैनेजरों पर छोड़ दिया जाएगा. वे लोग प्रतिद्वंद्वी के दावों को चुनौती देने वाले बयान तुरंत भेज सकते हैं. तब बाकी मीडिया हाउस भी यही कर रहे होंगे.
सही नैरेटिव स्थापित करना
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवारों के पास कुछ ऐसे प्रमुख बिंदु होंगे जिनके साथ वे अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने की कोशिश करेंगे. बाइडेन के लिए, न्यूयॉर्क में ट्रंप की हालिया सजा पर भरोसा करने का एक मजबूत तर्क होगा. लेकिन इसमें एक बड़ा जोखिम भी है. क्योंकि ट्रंप ने बिना सबूत ही सही, लेकिन लगातार दावा किया है कि वह बाइडेन के राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार हैं. हालांकि, ट्रंप को मुखर होने और “लोकतंत्र के लिए खतरा” के रूप में दिखने में संतुलन बनाना होगा.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि उम्मीदवारों को एक-दूसरे के बजाय मतदाताओं के मुद्दों पर जोर देना चाहिए, ताकि यह दिखाया जा सके कि वे मतदाताओं के साथ तालमेल में हैं. जो बाइडेन के लिए, यह महत्वपूर्ण होगा कि वह अर्थव्यवस्था और जीवन-यापन की लागत के संबंध में अपनी उपलब्धियों पर बहुत अधिक घमंड न करें. डेमोक्रेटिक पोलस्टर ब्रैड बैनन ने हाल ही में कहा, “बाइडेन को अपनी उपलब्धियों का दावा इस कबूलनामे के साथ करना चाहिए कि उपभोक्ता अभी भी गैस और किराने के सामान की ऊंची कीमतों से जूझ रहे हैं.”
बिना दर्शकों के बहस के बीच का व्यवहार
पिछली प्रेसिडेंशियल डिबेट्स से एकदम अलग हटकर इस बार स्टूडियो में कोई दर्शक नहीं होगा. इसके चलते वहां कोई वास्तविक समय की प्रतिक्रिया (रियल टाइम रिएक्शन) नहीं होगी. यह दोनों उम्मीदवारों और खास तौर से ट्रंप के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है. क्योंकि ट्रंप एक जोशीली भीड़ से ऊर्जा प्राप्त करते हैं. ट्रंप के लिए एक और खतरा यहा है कि सीएनएन ने कहा है कि जब दूसरा बोल रहा हो तो बाधाओं को रोकने के लिए एक उम्मीदवार का माइक्रोफोन बंद कर दिया जाएगा.
ट्रंप किसी भी तरह से सुनने की कोशिश करने का फैसला ले सकते हैं, या फिर इस पूरी प्रक्रिया में कुछ दर्शकों को अलग-थलग करने का जोखिम उठा सकते हैं. हालांकि, सफलता के लिए डिबेट की चाबी यह हो सकती है कि कौन सा उम्मीदवार घर पर बैठे टीवी के दर्शकों के साथ नजदीक से जुड़कर इस फॉर्मेट को बेहतरीन बना देता है.