ह्यूस्टन l मई महीने के अंत में यानी 30 या 31 तारीख को धरती पर उल्कापिंडों का तूफान आने वाला है. यह आ रहा है…इसे लेकर वैज्ञानिक पुख्ता हैं. लेकिन उल्कापिंडों की बारिश होगी या तूफान आएगा ये अभी कन्फर्म नहीं है. क्योंकि वैज्ञानिकों का कहना है कि उल्कापिंडों के आने का पता करना आसान है. लेकिन वो बीच रास्ते में दिशा और दशा बदल लेते हैं, इसलिए कुछ भी कह पाना मुश्किल हो रहा है.
उल्कापिंडों के इस तूफान को ताउ हर्क्यूलिड्स नाम दिया गया है. इसे सबसे पहले जापान के क्योटो स्थित क्वासान ऑब्जरवेटरी ने मई 1930 में देखा था. ये सिर्फ उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में रहने वाले लोगों को दिखाई देगा. इन्हें तभी देखा जा सकेगा अगर आसमान गहरे अंधेरे में हो और विजन क्लियर हो. यानी किसी भी तरह का प्रदूषण न हो. अगर ऐसा हुआ तो आप 30 मई और 31 मई की रात में आसमान में उल्कापिंडों की बारिश देख पाएंगे.
इन दोनों दिनों में रात में उल्कापिंडों के तूफान के साथ-साथ आप को तेज रोशनी वाले कुछ फ्लैश भी देखने को मिलेंगे. वैसे इस साल एक नजारा इस हफ्ते भी देखने को मिल सकता है. लेकिन ये तूफान नहीं सिर्फ बारिश है. इस हफ्ते दिखने वाले उल्कापिंडों का नाम है एटा एक्वेरिड्स (Eta Aquarids). हालांकि, अगले साल इन्हें देखने में ज्यादा मजा आएगा, क्योंकि तब ये ज्यादा संख्या में आसमानी आतिशबाजी करेंगे.
मीटियोर शॉवर को जेनिथ ऑवर्ली रेट (ZHR) से मापा जाता है. सबसे अच्छी उल्कापिंडों की बारिश उसे माना जाता है जो 100 ZHR प्वाइंट पर हो. बहुत कम और दुर्लभ मौके होते हैं जब यह संख्या 1000 को पार करती है. अगर 1000 या उससे ऊपर संख्या जाए तो उसे उल्कापिंडों का तूफान कहते हैं. इससे पहले ऐसा तूफान साल 2001/2002 में लियोनिड तूफान (Leonid Storm) था.
1833 में सबसे भयावह लियोनिड तूफान आया था. जिसकी एक पेंटिंग मिलती है. जिसमें कुछ लोगों को एक गांव में दिखाया गया है और उनके ऊपर उल्कापिंडों के तूफान को दर्शाया गया है. उल्कापिंडों का नजारा तब देखने को मिलता है जब धरती के वायुमंडल से अंतरिक्षीय धूल और पत्थर टकराते हैं. ये जब जलते हैं तब ऐसे लगता है कि उल्कापिंडों की बारिश हो रही है. यानी आसमानी आतिशबाजी.