देहरादून: उत्तराखंड मे जमीनों के नाम से फर्जीवाड़ा करना अब तो बिल्कुल भी आसान नहीं हो पाएगा। चिंता की बात है कि जमीन की बिक्री और खरीद से जुड़े फ्रॉड मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े किसी भी तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कारगर प्लान बनाया गया है।
देहरादून जिले में जमीन धोखाधड़ी और भूमि स्वामित्व विवाद रोकने को लेकर देहरादून डीएम सोनिका ने कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने सभी उप निबंधकों (डिप्टी रजिस्ट्रार) को किसी भी जमीन या भवन की रजिस्ट्री से पहले सेल डीड में ‘12 साला’ या स्वामित्व के तीन लेखपत्रों का विवरण दर्ज करने के आदेश दिए।
जिलाधिकारी सोनिका प्रत्येक सोमवार को कलक्ट्रेट स्थित सभागार में जनसुनवाई करती हैं। इसमें सबसे ज्यादा शिकायतें लैंड फ्रॉड या संपत्ति के स्वामित्व से जुड़े विवादों की रहती हैं। इन्हें कम करने की दिशा में जिला प्रशासन की ओर से एक तो लोगों को जागरूक किया जा रहा है, दूसरी प्रशासनिक स्तर से कुछ कड़े कदम भी उठाए जा रहे हैं।
लोगों को जागरूक करने के लिए जमीन या मकान खरीदने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखना है, इसकी चेक लिस्ट बनाई जा रही है। साथ ही शिकायतों के लिए एक कंट्रोल रूम की दिशा में भी काम चल रहा है, जिसका टोल फ्री नंबर जारी होगा। वहीं इसी कड़ी में डीएम सोनिका ने सभी डिप्टी रजिस्ट्रारों को जरूरी निर्देश जारी किए हुए हैं।
आदेश में कहा गया है कि संपत्ति की रजिस्ट्री के समय खरीदार और विक्रेता के मध्य लिखे जाने वाले विक्रय विलेख (सेल डीड) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि सेल डीड में संपत्ति के स्वामित्व का सही वर्णन दिया जाए तो विवाद की समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है।
डीएम ने जिले के सभी डिप्टी रजिस्ट्रारों को निर्देशित किया है कि वह अपने कार्यालयों में रजिस्ट्री से पूर्व प्रत्येक विक्रय विलेख में संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित तीन लेखपत्र का क्रमवार विवरण या संबंधित संपत्ति का 12 साला यानी बारह वर्ष का विवरण अनिवार्य रूप से अंकित कराएं। अगर तीन लेखपत्र या ‘12 साला’ में जिसकी अवधि अधिक हो, उसे दर्ज करना होगा।
अभी तक नहीं थी अनिवार्यता
जमीन या भवन की रजिस्ट्री में अभी तक ‘12 साला’ दर्ज करने की अनिवार्यता नहीं थी। हालांकि जागरूक लोग जमीन खरीदने से पहले 12 साला या 20 साला जांच लेते हैं। इसके अलावा बैंक लोन के मामलों में भी इसकी जांच की जाती है, ताकि फर्जीवाड़े से बचा जा सके। अब सभी तरह की रजिस्ट्री से पहले इसकी अनिवार्यता से जमीन फर्जीवाड़े के मामलों में कमी आएगी।