देहरादून: एक पूर्व रसोइया, बस कंडक्टर, ऑटो-रिक्शा चालक, फैक्ट्री कर्मचारी और एक स्कूल शिक्षक… हम किसी फिल्मी कहानी के स्क्रिप्ट की चर्चा नहीं कर रहे। ये उन किरदारों के पेशे हैं, जो उत्तराखंड के सबसे बड़े घोटाले के सूत्रधार हैं। इन सब पर जो आरोप लगा है, उसे सही माना जाए तो ये उत्तराखंड के 200 करोड़ रुपये के घोटाले के किरदार हैं। भ्रष्टाचार के फैले जाल को देखते हुए लोगों ने इसकी तुलना वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के व्यापम से करनी शुरू कर दी है। व्यापम को देश के सबसे बड़े परीक्षा घोटालों में से एक माना जाता है। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल की परीक्षाओं में घोटालों का मामला सामने आया था। इस मामले में सीबीआई जांच की अनुशंसा की गई थी। कई आरोपियों की एक के एक बाद एक मौत हुई। इस मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। अब उत्तराखंड के UKSSSC पेपर लीक घोटाले का मामला गरमा गया है।
UKSSSC पेपर लीक केस में सरकार की ओर से सख्त रुख अपनाया गया है। प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने घोटालेबाजों के खिलाफ त्वरित और सख्त ऐक्शन लेने के निर्देश जारी किए हैं। अधिकारियों के अनुसार, इस केस में शुक्रवार तक 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पेपर लीक केस में 200 से अधिक उम्मीदवारों को 10 से 15 लाख रुपये पेपर बेचे गए। पेपर की एक कॉपी के कथित तौर पर लखनऊ के निजी टेक्निकल सॉल्यूशंस फर्म के मालिक और एक कर्मचारी के स्तर पर लीक की गई थी। मामला सामने आने के बाद सरकार ने इस कंपनी के साथ करार तोड़ लिया था।
घोटाले के मास्टरमाइंड की हुई पहचान
घोटाले के मास्टरमाइंड के रूप में हाकम सिंह की पहचान हुई है। इसके अलावा 200 करोड़ से अधिक के इस घोटाले में हाकम सिंह के करीबी सहयोगियों में यूपी के चीटिंग माफिया सदस्य केंद्रपाल, चंदन मनराल, मनोज जोशी और जगदीश गोस्वामी शामिल रहे हैं। उनमें से अधिकांश ने कथित तौर पर कम से कम 50 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई। गलत तरीके से धन अर्जित किया। वे कथित तौर पर पिछले 10 साल से इस धंधे में थे। इस घोटाले का मुख्य आरोपी माना जा रहा हाकम सिंह उत्तरकाशी का रहने वाला है। 14 अगस्त को एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार किया था। इस स्कैम में गिरफ्तार होने वाला वह 18वां आरोपी था। वह पहले उत्तरकाशी जिला पंचायत के सदस्य और सत्ताधारी भाजपा का नेता रह चुका है। मामले में गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने उसे बाहर कर दिया है।
हाकम सिंह ने यूपी के धामपुर में एक घर किराए पर लिया था। हाकम पर आरोप है कि वहां वह परीक्षा के एक दिन पहले UKSSSC उममीदवारों को लेकर गया। लीक प्रश्नों का हल करने में उनकी मदद की। इसके एवज में उसने प्रत्येक छात्र से 15 लाख रुपये वसूले। हाकम के अलावा यूपी के चीटिंग माफिया सदस्य केंद्रपाल ने यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड की परीक्षाओं के पेपर लीक किए। पैसे वसूल कर इसे अभ्यर्थियों के बीच लीक किया। यूपी के धामपुर के रहने वाले केंद्रपाल को 26 अगस्त को बिजनौर से एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। वह गिरफ्तार होने वाला 24वां आरोपी था।
ऐसे चला पूरा खेल
एसटीएफ के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि केंद्रपाल से हाकम की मुलाकात वर्ष 2011 में हरिद्वार में हुई थी। एक श्रमिक ठेकेदार के माध्यम से यह मुलाकात हुई। इसके बाद उसे धोखाधड़ी माफिया में शामिल किया गया था। केंद्रपाल ने 1996 में एक ऑटो-रिक्शा चालक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने फिर धामपुर में एक रेडीमेड परिधान की दुकान में काम किया। बाद में 2011 में कथित रूप से माफिया में शामिल होने से पहले अपना कपड़ा आपूर्ति व्यवसाय शुरू किया। जांच एजेंसी ने पाया है कि उत्तरकाशी के एक रिसॉर्ट में हिस्सेदारी, धामपुर में 3.3 एकड़ जमीन और एक आलीशान हवेली समेत कई संपत्तियों का पता लगाया है।
UKSSSC पेपर लीक केस में गिरफ्तार एक अन्य आरोप चंदन मनराल और केंद्रपाल का भी जुड़ाव सामने आया है। केंद्रपाल और चंदन मनराल की मुलाकात 2012 में हुई थी। रामनगर के रहने वाले चंदन मनराल को एसटीएफ की ओर से गिरफ्तार होने वाला 21वां सदस्य था। मनराल ने सभी आरोपियों में से सबसे अधिक संपत्ति बनाई। उसके संपत्ति की कीमत करीब 100 रुपये आंकी गई है। चंदन मनराल ने करीब 30 साल पहले बेतालघाट-रामनगर रूट पर बस कंडक्टर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। फिर उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे इकट्ठा करके अपनी बस खरीदी। बाद के वर्षों में कुमाऊं क्षेत्र में एक परिवहन एजेंसी शुरू की और 19 बसों का मालिक बन गया।
केंद्रपाल से मिलने के बाद कथित रूप से चीटिंग माफिया में शामिल होने के बाद उसकी संपत्ति कई गुना बढ़ गई। मनराल ने करीब 25 एकड़ के क्षेत्र में फैले स्टोन क्रशर प्लांट की शुरुआत की। उसने अपनी परिवहन एजेंसी के माध्यम से विभिन्न सरकारी विभागों को लगभग 30 मल्टी-यूटिलिटी वाहन किराए पर दिए थे।
UKSSSC पेपर लीक केस में 22वीं गिरफ्तारी 21 अगस्त को अल्मोड़ी के जगदीश गोस्वामी की हुई थी। उसका जुड़ाव भी केंद्रपाल के साथ सामने आया है। केंद्रपाल और जगदीश गोस्वामी की मुलाकात उत्तराखंड के एक मंदिर में हुई थी। यहां से दोनों का साथ मजबूत हुआ और 2019 में उसने जगदीश को चीटिंग माफिया में शामिल कराया। गिरफ्तारी के समय जगदीश बागेश्वर जिले में सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत था। वे उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध लोक गायकों में से एक गोपाल बाबू गोस्वामी के बेटे हैं। गोपाल बाबू गोस्वामी ने करीना कपूर स्टारर ‘जब वी मेट’ जैसी बॉलीवुड फिल्म में काम किया था। जगदीश पर अपने क्षेत्र के परीक्षार्थियों को इकट्ठा करने और लीक हुए प्रश्नपत्रों को हल करने में मदद करने के लिए उन्हें धामपुर में किराए के घर में ले जाने का आरोप है।
मामले का एक अन्य आरोपी अल्मोड़ा निवासी मनोज जोशी है। मनोज 24 जुलाई को UKSSSC पेपर लीक मामले में एसटीएफ की ओर से पहली बार गिरफ्तार किए गए छह लोगों में शामिल था। जोशी एक प्रांत रक्षक दल (पीआरडी) का जवान रहा है। वह यूकेएसएसएससी में एक पूर्व कर्मचारी था। देहरादून में विभागीय विसंगतियों के सामने आने के बाद वर्ष 2018 में उसे यूकेएसएसएससी से हटा दिया गया। पीआरडी में भर्ती होने और यूकेएसएसएससी में तैनात होने से पहले जोशी ने 12 साल तक लखनऊ की एक फैक्ट्री में काम किया था। एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि मनोज जोशी ने लखनऊ स्थित टेक-सॉल्यूशन प्राइवेट फर्म से प्रश्नपत्रों को लीक कराने में मदद की। इस मामले में गिरफ्तार आरोपी कर्मचारियों के पांच सदस्यों को सरकारी नौकरी दिलाने में उसने मदद की थी।
ईडी करेगी आरोपियों के संपत्ति की जांच
UKSSSC पेपर लीक मामले की जांच के आरोपियों की संपत्ति की जांच ईडी से कराए जाने की तैयारी है। घोटाले की जांच कर रहे एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि आरोपियों की संपत्ति को लेकर निकली जानकारी रही है। एजेंसी की ओर से इसकी सूचना पहले ही दे दी गई थी। ईडी इसकी जांच करेगा। उन्होंने कहा कि हमने मामले का विवरण मांगा है। हमने उन्हें सारी जानकारी उपलब्ध करा दी है। आगे वे जांच में पूरे मामले की तह तक जाएंगे। एसटीएफ एसएसपी ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की योजना तैयार है। हम आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज करेंगे और उनकी संपत्तियों को कुर्क करेंगे।