देहरादून : उत्तराखंड में किसी भी सस्ता गल्ला दुकान से राशन लेने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही। यहां दूसरे राज्यों के कार्डधारकों को तो राशन मिल रहा है, लेकिन सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने से उत्तराखंडवासी दूसरी सरकारी दुकान से राशन नहीं ले पा रहे हैं। जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय उपभोक्ता मायूस हैं।
दरअसल, करीब तीन साल पहले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा ऐक्ट (एनएफएसए) के तहत राशन कार्ड प्रोर्टेबिलिटी की सुविधा शुरू की गई थी। व्यवस्था के तहत उत्तराखंड के राशनकार्डधारक राज्य के किसी भी सरकारी दुकान से सार्वजनिक वितरण यानी पीडीएस का राशन ले सकते हैं।
इसके लिए उपभोक्ता का ब्योरा खाद्य विभाग के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में डाला जाना था। फिर ये सरकारी सस्ता गल्ला वक्रिेता की प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन से लिंक किया जाना था। इसके बाद उपभोक्ता बायोमेट्रिक तरीके से कहीं से भी राशन ले सकता था। लेकिन उत्तराखंड में स्थानीय स्तर पर यह व्यवस्था सही से काम नहीं कर रही है।
योजना शुरू होने के तीन साल बाद भी खाद्य विभाग का सॉफ्टवेयर सही से अपडेट नहीं हो पाया है। इसके चलते ऐसे में स्थानीय लोग योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। वहीं, दूसरे राज्यों के लोग जो उत्तराखंड में रह रहे हैं, उन्हें सरकारी दुकानों से राशन मिल रहा है।
देहरादून में प्रदेश के विभिन्न जिलों के लोग रह रहे हैं।
ऐसे में अक्सर राशन की दुकानों पर राशन लेने के लिए लोग पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में राशन डीलर स्थानीय लोगों को राशन नहीं दे पाते। गत दिवस नेहरू कॉलोनी स्थित राशन की दुकान पर पौड़ी निवासी दो युवक राशन के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें मायूस लौटना पड़ा। ऐसा आमतौर पर हो रहा है।
प्रदेश के 23 लाख उपभोक्ताओं को होता लाभ
उत्तराखंड में यह व्यवस्था सही से काम करती तो प्रदेश के करीब 23 लाख उपभोक्तओं को इसका लाभ मिलता। दरअसल, कई लोग ऐसे भी हैं जो नौकरी के चलते अपने घर से दूर रहते हैं। ऐसे लोग राशन नहीं ले पाते, लिहाजा, ऐसे लोग लोगों को भी राशन मिल पाता।