Saturday, May 24, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home मुख्य खबर

भारत के विदेशी व्यापार को गति देने में सहायक होंगे मुक्त व्यापार समझौते

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
18/03/22
in मुख्य खबर, राष्ट्रीय, व्यापार
भारत के विदेशी व्यापार को गति देने में सहायक होंगे मुक्त व्यापार समझौते

google image

Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

प्रहलाद सबनानीप्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक


हाल ही के वर्षों में वैश्विक व्यापार प्रणाली में मुक्त व्यापार समझौतों, क्षेत्रीय व्यापार समझौतों, व्यापार आर्थिक साझेदारी समझौतों एवं तरजीही व्यापार समझौतों का योगदान बहुत तेजी से बढ़ा है। पूरे विश्व के विदेशी व्यापार का एक बड़ा भाग आजकल मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के अंतर्गत हो रहा है। विश्व में आज लगभग सभी देश किसी न किसी मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौते का हिस्सा बन गए हैं। विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौता सामान्यतः आपस में विदेशी व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है। मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत आपस में करार करने वाले देश विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं में, शून्य अथवा कम आयात शुल्क पर, आपस में आयात निर्यात करने हेतु सहमत होते हैं। इसका लाभ दोनों देशों को होता है। आयात करने वाले देश को अपेक्षाकृत कम कीमत पर वस्तुओं एवं सेवाओं की प्राप्ति होती है तो दूसरी ओर निर्यात करने वाले देश के निर्यात में वृद्धि होती है। इस प्रकार विभिन्न देशों के बीच, मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के कारण, विदेशी व्यापार में वृद्धि होने से, इन देशों की आय में वृद्धि होती है, रोजगार के अवसर बढ़ते हैं तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों की संख्या में कमी होती है।

भारत ने भी अभी तक 12 मुक्त व्यापार एवं क्षेत्रीय व्यापार समझौते विभिन्न देशों के साथ किए हुए हैं। यह मुक्त व्यापार समझौते भारत के विदेश व्यापार को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभा रहे है। भारत पूर्व में श्रीलंका, नेपाल, दक्षिणी कोरिया, जापान, मलेशिया, मारिशस, अफगानिस्तान, चिली, मरकोसुर आदि देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते, व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) अथवा तरजीही व्यापार समझौते कर चुका है। इसी प्रकार भारत ने कुछ क्षेत्रीय व्यापार समझौते भी किए हैं जैसे दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौता (एसएएफटीए), भारत एशिया एनएफटीए, एशिया पेसिफिक व्यापार समझौता, सार्क तरजीही व्यापार समझौता (एसएपीटीए), आदि। अभी हाल ही में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ मुक्त व्यापार समझौता सम्पन्न किया है तथा ब्रिटेन, अमेरिका एवं यूरोपीयन यूनियन देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्रता से सम्पन्न किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, क्योंकि जिन देशों के साथ उक्त विकसित देशों के मुक्त व्यापार समझौते सम्पन्न किए जा चुके हैं उन देशों को उक्त विकसित देशों के साथ विदेशी व्यापार करने में वरीयता प्रदान की जाती है जिसके कारण भारतीय व्यापारियों को उक्त विकसित देशों के साथ विदेशी व्यापार करने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौता सामान्यतः उन देशों के बीच होता है जिनमें आपस में प्रतिस्पर्धा न हो। इससे आयात करने वाले देश को तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की प्राप्ति होती है वहीं निर्यात करने वाला देश, निर्यात में हुई वृद्धि के चलते पैमानागत मितव्ययिता (इकानामी आफ स्केल) प्राप्त करने में सफल हो जाता है और उस वस्तु एवं सेवा की लागत कम होने के कारण, उस वस्तु अथवा सेवा को कम कीमत पर, करार के अन्य सदस्य देशों को भी बेच सकता है। साथ ही, मुक्त अथवा क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के चलते विभिन्न विकासशील देश विकसित देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहते हैं क्योंकि ये देश इन समझौतों के अंतर्गत वरीयता प्राप्त देशों की श्रेणी में आ जाते हैं।

भारत में तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास के चलते पूरे विश्व की नजरें आज भारत के दिन प्रतिदिन विशाल हो रहे बाजार पर टिकी हुई हैं। आज प्रत्येक देश भारतीय बाजार में आकर व्यापार करना चाहता है क्योंकि यहां विभिन्न उत्पादों की मांग बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। भारतीय बाजार में पहुंचने का आसान रास्ता मुक्त व्यापार समझौता ही है। इसलिए विशेष रूप से विकसित देश बहुत लालायित हैं कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता जल्द से जल्द सम्पन्न हों। हालांकि मुक्त व्यापार समझौते करने से भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में भी आकर्षक वृद्धि देखने में आई है क्योंकि इन देशों में भारत से आयातित वस्तुओं पर आयात शुल्क में कमी कर दी जाती है और मुक्त व्यापार समझौते करने वाले देश के साथ भारत में उत्पादित वस्तुएं प्रतिस्पर्धी हो जाती हैं। जिसके चलते, इन देशों, जापान एवं दक्षिण कोरिया को छोड़कर, के साथ भारत का व्यापार घाटा कम हुआ है एवं व्यापार आधिक्य में वृद्धि हुई है।

विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने में बहुत कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ रहा है क्योंकि ये देश भारत पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत द्वारा कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली सब्सिडी की राशि को घटाया जाय ताकि कृषि क्षेत्र इन देशों के साथ प्रतिस्पर्धी बन सके एवं इन देशों के कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खुल सकें। परंतु भारत ने भी देश के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए विकसित देशों की इस मांग को अभी तक नहीं माना है। भारतीय सेवा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रतिस्पर्धी है अतः भारत भी इन देशों के साथ लगातार प्रयास कर रहा है कि वे भारतीय सेवा क्षेत्र के लिए अपने बाजार खोलें ताकि भारतीय इन देशों में जाकर आसानी से रोजगार प्राप्त कर सकें। अभी तक तो विकसित देशों एवं भारत के बीच उक्त क्षेत्रों में आपस की खींचतान जारी हैं।

भारत द्वारा विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के पूर्व एक और मुद्दे पर मतभेद जारी हैं। भारतीय फार्मा उद्योग वर्गीय दवाईयों के उत्पादन का लाभ बहुत बड़े पैमाने पर उठा रहा है जिसके चलते भारत से दवाईयों का निर्यात पूरे विश्व को हो पा रहा है। विकसित राष्ट्र इंटेलेक्चुल प्रॉपर्टी राईट्स (आईपीआर) सम्बंधी नियमों को कड़ा करना चाह रहे हैं ताकि भारत के फार्मा उद्योग में कसावट लाई जा सके। भारत के लिए, ऑनलाइन किए जा रहे डिजिटल व्यापार के संदर्भ में दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था में भी अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं, इसके सम्बंध में नियमों पर भी अभी सहमति नहीं बन पाई है।

विकसित देशों से मुक्त व्यापार समझौता करने के फायदे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में भी दिखाई देते हैं एवं इस निवेश के साथ तकनीकी भी स्थानांतरित होती है परंतु क्या भारतीय कम्पनियां इन विशाल विदेशी बहुदेशीय कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने को तैयार हैं? भारत को अपना ध्यान दक्षिण अफ़्रीकी देशों, दक्षिण एशियाई देशों एवं लेटिन अमेरिकी देशों की ओर भी देना चाहिए क्योंकि इन देशों के साथ भारतीय कम्पनियां आसानी से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं एवं इन देशों की विशाल जनसंख्या के कारण भारत को अपने उत्पादों के लिए विशाल बाजार भी उपलब्ध होगा। अतः इन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते का लाभ भारत को अधिक मिलने की सम्भावना होगी।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.