भोपाल: मध्य प्रदेश में वैसे तो पिछले लगभग 20 साल से बीजेपी की ही सरकार है, लेकिन 28 नवंबर 2018, ये वो तारीख है, जब पांच साल पहले मतदाताओं ने राज्य में बड़ा उलटफेर कर दिया था। 11 दिसंबर 2018 को जब वोटों की गिनती शुरु हुई थी, तो पूरे देश की नजर इस राज्य पर थी। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता पर वापसी की थी। हालांकि बाद में बीजेपी ने 15 महीने बाद इस सरकार को तोड़ कर ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से वापस सत्ता हथिया ली। 2018 से लेकर 2023 तक इन पांच सालों में मध्य प्रदेश में बहुत कुछ बदला है। आइए आपको बताते हैं, इस बदलाव की कहानी…
2018 में हुई थी कांटे की टक्कर
2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों का परिणाम चौंकाने वाला था। कांटे के मुकाबले में काउंटिंग रात तक चली। उसके बाद भी संशय की स्थिति बनी रही। अंत में काउंटिंग पूरी हुई, अंतिम नतीजों में कांग्रेस को विजयी घोषित किया गया। हैरानी की बात ये थी कि बीजेपी का वोट शेयर ज्यादा था, लेकिन सीटें कम थी और वहीं कांग्रेस कम वोट शेयर के बावजूद सत्ता पा गई। उस चुनाव में एमपी में कुल 75.2 फीसदी वोटिंग हुई, जिसमें से बीजेपी को 41.6 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 109 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस ने 41.5 फीसदी वोट परसेंटेज के साथ 114 सीटें जीतीं। मामला यहीं अटक गया, क्योंकि मध्य प्रदेश में बहुमत का आंकड़ा 116 है और दोनों ही पार्टी इससे दूर थीं। बाद में बीएसपी, अन्य पार्टियों और निर्दलीयों की मदद से कांग्रेस ने कमल नाथ के नेतृत्व में सरकार बना ली।
क्या बदला है 2018 से अब तक
इन चुनावों में ग्वालियर-चंबल के प्रभावशाली नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना खेमा बदल चुके हैं। पिछले चुनावों में वह कांग्रेस की ओर थे, अब वह बीजेपी में हैं। पिछली बार भी बीजेपी सत्ता से बाहर थी, इस बार उसके लिए कुछ प्लस है तो बहुत कुछ माइनस भी है। बीजेपी के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, जिनमें कुछ मौजूदा विधायक हैं और कुछ पूर्व विधायकों के नाम इसमें शामिल हैं। पूर्व सीएम कैलाश जोशी के बेटे और तीन बार के विधायक दीपक जोशी कांग्रेस में चले गए हैं। शिवपुरी की कोलारस सीट से मौजूदा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी भी पार्टी छोड़ चुके है।
इसके अलावा बीजेपी पहले की तरह इस बार भी एंटी इन्कमबेंसी से पार पाने की कोशिश कर रही है। सबसे बड़ा बदलाव ये है कि इस बार बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ रही है। इस बार पार्टी ने पीएम मोदी और अमित शाह को आगे किया है। कांग्रेस इस मामले में अलग रणनीति के साथ मैदान में है। वह पूरी तरह से शिवराज सिंह पर हावी है।
एक और फैक्टर सीएम शिवराज की चुनावी घोषणाएं है। इस बार उन्होंने कुछ ऐसी योजनाएं राज्य में लागू की हैं, जो निर्णायक साबित हो सकती हैं। सबसे ज्यादा असर राज्य में लाड़ली बहना योजना को देखने को मिल रहा है। इस योजना में प्रदेश की महिलाओं के खाते में हर महीने 1250 रुपए डाले जाते हैं। सीएम शिवराज ने 1250 रुपयों को 3000 रुपए तक करने की बात भी कही है। अब मध्य प्रदेश का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, इसके लिए 3 दिसंबर तक का इंतजार करना होगा।