मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
ऋषिकेश : राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में ’गरूड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट का शुभारम्भ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस स्वास्थ्य सेवा से राज्य के दूर-दराज के ग्रामीणों को विशेष लाभ पहंुचेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार ने विभिन्न तैयारियों के साथ-साथ ब्लाॅक स्तर पर कोविड कन्ट्रोल रूम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
एम्स ऋषिकेश पहुंचे मुख्यमन्त्री तीरथ सिंह रावत ने ’यूथ आॅफ मेडिकोज संगठन’ द्वारा संचालित गरूड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट का बटन दबाकर शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमितों की संख्या बढ़ने के मद्देनजर यह प्रोजेेक्ट कोविड संक्रमितों को डाॅक्टरी परामर्श उपलब्ध कराने के लिहाज से विशेष लाभकारी साबित होगा। मुख्यमन्त्री ने कहा कि कोविड के संक्रमण को कम करने और समय पर उपचार के लिए उत्तराखण्ड में अन्य राज्यों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक टेस्टिंग की जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक आॅक्सीजन प्लान्ट लगाने की योजना है। उन्होने एम्स में चिकित्सा सुविधाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हिमाचल के लोग भी एम्स ऋषिकेश से स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
एम्स के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकान्त ने मुख्यमऩ्त्री को एम्स में कोविड केयर मैनेजमेंट और मरीजों को दिए जा रहे उपचार सम्बन्धी जानकारी दी। प्रोफेसर रविकान्त जी ने कोविड केयर मैनेजमेन्ट के लिए एम्स में एक 40 हजार लीटर क्षमता का आॅक्सीजन प्लान्ट लगाए जाने मांग की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोविड आईसीयू के 250 बेड हैैं। इनकी संख्या बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधनों के अलावा पर्याप्त संख्या में डाॅक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ की जरूरत है।
इससे पूर्व ’गरूड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट’ के प्रबन्धक और यूथ मेडिकोज संगठन के संस्थापक डाॅ. विनोद कुमार जी ने मुख्यमंऩ्त्री को गरूड़ प्रोजेक्ट के बारे मे विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से प्रशिक्षण के बाद मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ राज्य की प्रत्येक तहसील तक कोविड केयर प्रोवाईडर उपलब्ध करवाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के 1600 के लगभग आवेदन आये थे जिनमें से लगभग 800 लोगो का चयन किया गया है। कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष विधानसभा प्रेमचन्द्र अग्रवाल, दिनेश जी, ऋषिकेश मेयर अनिता ममगाईं, कुसुम कण्डवाल, डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. बीके बस्तिया, मेडिसिन विभाग की एचओडी डाॅ. मीनाक्षी धर, डा. नवनीत मैगो, ट्राॅमा सर्जन डा. मधुर उनियाल संस्थान के प्रोेजेक्ट के राज्य समन्वयक डा. राहुल आदि मौजूद थे।
क्या है गरूड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट ?
इस प्रोजेक्ट का संचालन यूथ आॅफ मेडिकोज संगठन से जुड़े चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत डाॅक्टरों की कमी से जूझ रहे उत्त्राखण्ड में लोगों को कोविड उपचार में काफी मदद मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से जुड़े युवा डाॅक्टरों की टीम तहसील और ब्लाॅक स्तर पर निःशुल्क टेलीमेडिसिन सुविधा उपलब्ध करवाएगी। जल्दी ही टोल फ्री नम्बर जारी होने के बाद राज्य के पहाड़ी इलाकों के रोगी भी घर बैठे इस टेलीमेडिसिन सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। यूथ आॅफ मेडिकोज के संस्थापक और इस प्रोजेक्ट के प्रबन्धक डाॅ. विनोद कुमार ने बताया कि फोन करने वाले मरीजों के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या की स्थिति के अनुसार इस सुविधा द्वारा वरिष्ठ डाॅक्टरों के परामर्श पर फोन करने वाले मरीज को दवाओं का परामर्श भी दिया जाएगा और कोविड संक्रमित सामान्य लक्षण वाले रोगियों को अस्पताल आने की आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रोजेक्ट में आईआईटी रूड़की के इंजीनियरों का तकनीकी सहयोग भी लिया जा रहा है।