अंजन कुमार साबत
नई दिल्ली। विश्व भर में जनजागरण व सामाजिक कार्यों के कारण अपनी अलग पहचान बनाने वाला गायत्री परिवार इन दिनों कई अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संगठनों के निशाने पर हैं। धर्म परिवर्तन करने में माहिर ये धार्मिक संगठन गायत्री परिवार के एकीकृत ढांचे को तोड़ने के प्रयास में लगे हुए हैं। धार्मिक संगठनों के इस कुचक्र से न केवल गायत्री परिवार को सावधान होने की जरूरत है बल्कि सरकार को भी इस दिशा में सचेत रहने की आवश्यकता है। धार्मिक संस्थाएं इसके माध्यम न केवल गायत्री परिवार की बल्कि भारत की भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल करने की तैयारी में जुटीं हुईं हैं।
पिछले कुछेक वर्षों में भारत के आदिवासी इलाकों में धर्म परिवर्तन के काम में काफी तेजी आई है। धर्म परिवर्तन करने वाले ये संगठन अब हिंदी बाहुल्य वाले क्षेत्रों से संचालित गतिविधियों में तेज गति प्रदान कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक संस्थाएं अभी तक छुपकर ही धर्म परिवर्तन का काम करती आ रही थी। इसके लिए खासतौर से आदिवासी और पिछड़े इलाकों का चयन किया जाता था। पर अब ये संस्थाएं राजधानी दिल्ली के बाजारों, अस्पतालों या फिर छोटी कालोनियों तक पहुंचकर धड़ल्ले से धर्म परिवर्तन के लिए लोगों को तैयार कर रहीं हैं। संस्थाएं लोगों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, रोजगार और बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व आर्थिक प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के काम में संलग्न हैं।
वर्तमान में ये धार्मिक संगठन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, बिहार, उड़ीसा समेत कई राज्यों में तेजी से सक्रिय हैं। यह संगठन हिंदू रीति रिवाजों और धार्मिक ग्रंथों पर अब एक विशेष धर्म का लेबल लगाकर अपना प्रसार-प्रचार कर रहे हैं।
देशभर में अखिल विश्व गायत्री परिवार उन चुनिंदा संस्थाओं में शामिल है जो धार्मिक गतिविधियों के अलावा लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। गायत्री परिवार अपने सप्तसूत्री जनजागरण अभियान, वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के कारण पूरे विश्व में लोकप्रिय हैं। विश्व के कई देश गायत्री परिवार के इन विशेष अभियानों से खासे प्रभावित भी हैं। गायत्री परिवार द्वारा संचालित महिला सशक्तिकरण और नशा उन्मूलन कार्यक्रमों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित सप्तसूत्री आंदोलन के कारण धर्म परिवर्तन कराने वाली धार्मिक संस्थाओं को तगड़ा झटका लग रहा है। खासतौर से आदिवासी बहुल राज्यों में। यहां धर्म परिवर्तित कर चुके लोग गायत्री परिवार के आंदोलन से प्रभावित होकर पुनः सनातन धर्म से दीक्षित हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में इन इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों ने धर्म परिवर्तन करने से मना कर दिया है। इन इलाकों में आदिवासी अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित आंदोलनों से काफी प्रभावित हैं। यही बात धार्मिक संगठनों को पच नहीं रही है। काफी धन लगाने के बावजूद अपेक्षित सफलता प्राप्त न कर पाने से नाराज धार्मिक संगठनों ने अपने राह के कांटे गायत्री परिवार के खिलाफ बड़े पैमाने पर षड़्यंत्र रचने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए इन संस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर से मदद उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा भारत में भी गायत्री परिवार के खिलाफ इन धार्मिक संस्थाओं को हिंदूविरोधी गतिविधियों में संलिप्त कुछ पार्टियों और लोगों के द्वारा मदद उपलब्ध कराई जा रही है।
गायत्री परिवार पर और तेज किए जाएंगे हमले
आने वाले दिनों में गायत्री परिवार के खिलाफ तेजी से हमले शुरू किए जाने की संभावना है। ये धार्मिक संगठन पहले भी कई देशों में इस तरह की योजना पर काम कर चुके हैं। योजना के अनुसार ये संगठन सबसे पहले देश के मजबूत स्तंभ के खिलाफ प्रोपेगंडा वाली खबरें प्रसारित करते हैं। इसके लिए कई माध्यमों का चयन करते हैं। गायत्री परिवार के खिलाफ भी इन्होंने सोशल मीडिया को अपना प्रमुख हथियार बनाया है। जिसके माध्यम से ये गायत्री परिवार के खिलाफ वैचारिक रूप से हमले कर रहे हैं। सोशल मीडिया में हमले करने वाले कई लोग छद्म रूप धारण करके अलग-अलग सोशल मीडिया प्रोफाइल के जरिए गायत्री परिवार के विशिष्ट लोगों खासतौर से प्रमुख के खिलाफ खबरें व अफवाहें फैला रहे हैं। जिसे आने वाले दिनों में और तेज करने की संभावना है। वर्तमान में गायत्री परिवार के खिलाफ फेसबुक में कई ग्रुप्स संचालित हो रहे हैं। जिनमें इस तरह की द्वेषपूर्ण बातें फैलाकर गायत्री परिवार से जुड़े लोगों में मनोवैज्ञानिक दवाब बनाया जा रहा है। इसमें कई ऐसे लोग भी शामिल हैं जो गायत्री परिवार से ताल्लुक नहीं रखते हैं।
गौरतलब है कि खुलासा होने पर दो दिन पहले ही एक फेसबुक ग्रुप से गायत्री परिवार के खिलाफ डाली जा रही सभी अफवाह वाली खबरों को हटा दिया गया। जो कि कुछ समय पहले तक गायत्री परिवार और इसके द्वारा संचालित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के गलत समाचार देने का प्रमुख फोरम बना हुआ था।
पिछले दिनों धार्मिक संगठनों द्वारा गायत्री परिवार के प्रमुख चेहरे के ऊपर कई आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में गायत्री परिवार से संबंधित कुछ असंतुष्ट लोग जो काफी समय में संस्था विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे उन्होंने कई जगह शिकायत दर्ज भी कराई है। ऐसा करने के पीछे गायत्री परिवार से जुड़े करीब सोलह करोड़ परिजनों के मनोबल को गिराना था। हालांकि संस्थाएं ऐसा कर पाने में असफल रहीं। संस्थाओं का मानना था कि ऐसा करके आदिवासी क्षेत्रों में गायत्री परिवार के खिलाफ एक माहौल तैयार करेंगे, जिससे इन इलाकों के लोगों में गायत्री परिवार के प्रति अविश्वास का माहौल पैदा होगा। जिसके पश्चात् ये धार्मिक संस्थाएं आसानी से अपने मंसूबों में कामयाब हो जाएंगी।
सूत्रों की माने तो इन संस्थाओं द्वारा संचालित किया गया पहला प्लान पूरी तरह से धराशायी हो चुका इसलिए आने वाले दिनों यह दुष्प्रचार और भी नीचे स्तर पर पहुंच सकता है, जहां फर्जी सुबूत गढ़ने की साजिशें रची जाएंगी।जिसमें डॉक्टर्ड वीडियो, फेक ऑडियो और एडिटेड फोटो जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं, इसके अलावा कुछ लोगों को पैसे के लालच व कुछ को किसी और दबाव में लाकर पीड़ित या गवाह बनाकर भी पेश किया जा सकता है।
गायत्री परिवार को सचेत रहने की जरूरत
धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित इस षड़्यंत्र के खिलाफ गायत्री परिवार को सचेत रहने की आवश्यकता है। गायत्री परिवार को उन प्रमुख मोर्चों पर काम करना होगा जहां से ये संस्था के खिलाफ माहौल तैयार कर रहे हैं। खासतौर से सोशल मीडिया में छद्म रूप से आकर संस्था के प्रति तथ्यहीन बातें रखने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। इसके अलावा गायत्री परिवार के लोगों को भी अब एकजुटता का परिचय देना होगा। संस्था के लोगों को अपुष्ट खबरों पर विश्वास करने के बजाय उसका पुरजोर विरोध करना होगा। साथ ही ऐसे लोगों को बेनकाब भी करना होगा जो गायत्री परिवार का आवरण पहनकर संस्था के खिलाफ संचालित गतिविधियों में संलिप्त होंगे।
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