किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहला जाप गायत्री मंत्र किया जाता है. गायत्री मंत्र शक्तिशाली वैदिक मंत्रों में से एक है. शास्त्रों में इस मंत्र को महामंत्र बताया गया है. इस मंत्र के जाप से ही व्यक्ति की जीवन में कई बड़े बदलाव आते हैं. हिंदू धर्म में छोटी से लेकर बड़ी पूजा अर्चना में गायत्री मंत्र का पाठ किया जाता है. गायत्री मंत्र के आठ अक्षरों के त्रिक के अंदर व्यवस्थित चौबीस अक्षर शामिल हैं. इस मंत्र के शुरुआती श्लोक “ॐ भूर् भुव स्वाहा” से होती है, जो बहुत ही प्रसिद्ध है.
गायत्री मंत्र में होते हैं ये 3 भाग
एक गायत्री मंत्र में तीन भाग होते हैं. इसके पहले भाग में आराधना, दूसरे में ध्यान और तीसरे में प्रार्थना आती है. इस मंत्र के जाप में भगवान की स्तुति की जाती है. इसके बाद श्रद्धापूर्वक मंत्र का ध्यान किया जाता है. वहीं इसके तीसरे भाग यानी आखिरी में मनुष्य की विवेक की क्षमता, बुद्धि की जागृत करने और मजबूत करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है.
24000 श्लोंकों से मिलकर बना है गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र का वेदों में सार माना गया है. गायत्री मंत्र को रामायण के 24000 श्लोंकों से मिलाकर बनाया गया है. रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर गायत्री मंत्र बनते हैं. इस मंत्र का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में किया गया था. यह मंत्र माता गायत्री को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. जो हर काम में शुभता दिलाती है.
जानें गायत्री मंत्र जाप के लाभ
गायत्री मंत्र का जाप पूजा पाठ से लेकर हवन तक में किया जाता है. इसमें श्वास और तंत्रिका तंत्र को कार्यप्रणाली में सुधार करता है. शरीर में विषाक्त पदार्थों को निकालता है.. तेज ध्वनी में गायत्री मंत्र सुनने मात्र से तनाव दूर हो जाता है. इस मंत्र के जाप से एकाग्रता बढ़ती है. यह मन को शांत करने के साथ ही नकारात्मकता को दूर कर देता है. नियमित रूप से गायत्री मंत्र जाप से चिंता खत्म हो जाती है.