दिल्ली : दिल्ली की मशहूर जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. मस्जिद प्रशासन ने तीन मुख्य प्रवेश द्वारों के बाहर नोटिस चस्पा कर दिए हैं. नोटिस पर साफ-साफ लिखा है- जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखला मना है. इस फैसले पर कुछ वर्गों से आलोचनाओं के बाद शाही इमाम ने कहा कि नमाज पढ़ने आने वाली लड़कियों के लिए यह आदेश नहीं हैं. उधर, उत्तर प्रदेश के बरेली के दरगाह आला हजरत से जुडे़ संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने जामा मस्जिद के इस ऐलान को सही ठहराया है.
इस फैसल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि इस्लामी शरीयत ने बहुत पहले से ही महिलाओं को मस्जिदों और दरगाहों पर जाने से रोका है. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली जामा मस्जिद की इंतजामात कमेटी द्वारा लिया गया फैसला बिल्कुल सही और जायज है.
बहुत पहले से है रोक… लेकिन क्यों?
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने आगे कहा, “ये कोई नया फैसला नहीं है, पैगंबर-ए-इस्लाम के जमाने में औरतें मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए आती थीं, फिर कुछ जमाने के बाद शिकायत आने लगी. इन शिकायतों की और चंद खराबियों की वजह से पैगंबर-ए-इस्लाम ने महिलाओं को मस्जिद में आने से रोकने का आदेश दिया और फरमाया कि जितना सवाब मस्जिद में इबादत करने से मिलेगा उतना ही सवाब घर पर नमाज पढ़ने में मिलेगा. महिलाओं को घर पर नमाज पढ़ने के साथ मस्जिद का हुक्म दे दिया गया, इसलिए उस वक्त से लेकर अब तक औरतें मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए नहीं आती हैं.”