देहरादून। Global Investor Summit उत्तराखंड सरकार को इस बात को भली-भांति एहसास हो चुका है की ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट की जितनी हवा बनाई जा रही थी उतना सफल वह नहीं होने वाला है इसीलिए जिलों जिलों से अब आंगनबाड़ी कार्यकत्री भीड़ बढ़ाने के लिए एकत्रित की जा रही है ये कहना है|
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का। दसौनी ने ग्लोबल इन्वेस्टर समिट ( Global Investor Summit ) में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्या में राज्य सरकार द्वारा बुलाए जाने पर सवाल खड़ा किया है। दसौनी ने कहा की ग्लोबल इन्वेस्टर समिट उद्योगपतियों के लिए किया जा रहा है ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकत्री जिनका काम फील्ड में जाकर पोषक आहार देना इत्यादि होता है उनको किस मकसद से ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भीड़ में बड़ोतरी के लिए जिलों से इकट्ठा किया जा रहा है।
दसौनी ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा की शिकायत मिल रही है की बड़ी तादाद में आंगनबाड़ी कार्यकतियों को एकत्रित किया जा रहा है लेकिन उनके रहने खाने का इंतजाम सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है ।ऐसे में समिट को लेकर राज्य सरकार की तैयारी की कलई अपने आप खुल रही है।
वैसे ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का क्या काम??भीड़??🤔@BJP4UK pic.twitter.com/CFfTfSNRR8
— Garima Mehra Dasauni (@garimadasauni) December 7, 2023
गरिमा दसोनी ने उद्योगपतियों के लिए जो पास आवंटित किए गए हैं उस पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अलग-अलग कैटेगरी में पास तैयार किए हैं,जिन्हे प्लेटिनम ,डायमंड ,गोल्ड सिल्वर इत्यादि का नाम दिया गया है परंतु न ही उन पास में इन्वेस्टर का नाम और ना ही फोटो लगाया गया है ऐसे में जब अधिकारियों से पूछा गया कि इन्वेस्टर्स को वेरीफाई करने के लिए क्या तरीका है तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था।
दसौनी ने कहा कि इसका तात्पर्य यह है कि ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में किसी के भी गले में यह पास डालकर उसे इन्वेस्टर साबित करने की नाकाम कोशिश की जाएगी| दसौनी ने कहा कि जैसा अंदेशा है कि यह समिट भी 2018 की ही तर्ज पर थोथा चना बाजे घना होगा साबित होगा।
दसौनी ने दुकानदारों के द्वारा विरोध करने पर दुकानों के बोर्ड जबरन बदलने पर और सड़क को चाक चौबंद करने के नाम पर व्यापारियों का दोहन करने पर राज्य सरकार की निंदा की और कहा की राज्य सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है,और तो और छोटा मोटा स्वरोजगार करने वाली रेड़ियाँ ठेलियां तक सरकार ने प्रतिबंधित कर रखी है। दसौनी ने कहा की एक तरफ राज्य का किसान है जो गन्ने के समर्थन मूल्य न घोषित किए जाने को लेकर परेशान घूम रहा है और राज्य सरकार पूंजीपतियों को खुश करने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह बहा रही है।