गौरव अवस्थी “आशीष”
6 वर्ष के आदरणीय भारत यायावर जी एक गंभीर अध्येता हैं। विनोबा भावे विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे भारत यायावर जी ने किताब घर नई दिल्ली से कई खंडों में प्रकाशित आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली का संपादन करके आचार्य द्विवेदी के विविध पक्षों को समाज के सामने प्रस्तुत किया। डॉ नामवर सिंह पर लिखी गई उनकी जीवनी पुस्तक “नामवर होने का अर्थ” भी साहित्य जगत में काफी चर्चित और प्रतिष्ठित हुई.
आजकल प्रख्यात कहानीकार फणीश्वर नाथ रेणु की जीवनी लिखने में लगे हुए भारत यायावर जी से अपना पहला परिचय वर्ष 2009 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युग प्रेरक सम्मान समर्पित करने के संबंध में हुआ था। फिरोज गांधी डिग्री कॉलेज रायबरेली के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष पितृतुल्य डॉक्टर पांडे रामेंद्र ने सम्मान के लिए उनका नाम सुझाया था। उनकी अनुशंसा का आदर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति रायबरेली के सभी सदस्यों का परम धर्म था.
इसी अलंकरण एवं काव्यांजलि समारोह में आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति ने अपना दूसरा प्रतिष्ठित डॉ राम मनोहर त्रिपाठी लोक सेवा सम्मान देश के प्रख्यात पत्रकार आदरणीय श्री अच्युतानंद मिश्र (पूर्व कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल मध्य प्रदेश) को समर्पित करने का सौभाग्य भी प्राप्त किया था।
भारत यायावर की आदरणीय भाभी जी के साथ वह रायबरेली यात्रा हम लोगों के लिए आज भी यादगार है। यात्रा को लगभग 12 वर्ष बीत रहे हैं लेकिन मन मस्तिष्क पर स्मृतियां इतनी तरोताजा आज भी बनी हुई हैं। लगता है जैसे अभी कल की ही बात है। उस यात्रा में उन्होंने आचार्य द्विवेदी की जन्म स्थली दौलतपुर का भ्रमण भी किया था। अपने सारगर्भित संबोधन में उन्होंने आचार्य द्विवेदी के विभिन्न पक्षों पर तब भी प्रकाश डाला था और अब भी वह यदा-कदा प्रकाश डालते ही रहते हैं। उनके अध्ययन का लाभ हम सब आज भी उठाते आ रहे हैं और उठाते रहेंगे। भारत यायावर एक गंभीर अध्येता थे लेकिन अपनी ज्ञान पर कभी अभिमान नहीं किया। सरलता के साथ अपनी बात को साहित्यिक समाज के बीच रखना उनका स्वभाव था।
भारत यायावर जी अगले महीने की 29 नवंबर को 67 साल के हो जाते लेकिन काल के क्रूर पंजों ने उन्हें असमय ही डंस लिया। अपनी अस्वस्थता का समाचार सोशल मीडिया पर उन्होंने खुद ही पोस्ट किया। देशभर से उनके लिए दुआओं में हाथ उठे लेकिन काल उन्हें हम सब से छीन कर ले गया। उनका असमय जाना हिंदी साहित्य के लिए गंभीर क्षति है। क्षति की भरपाई भविष्य में संभव नहीं दिखती। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति रायबरेली परिवार ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे और परिवार जनों को यह आघात सहन करने की क्षमता प्रदान करे।