नई दिल्ली। सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जो MCX पर ₹87,866 प्रति 10 ग्राम और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3,000 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच गई हैं। यह तेजी आर्थिक अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की बढ़ती खरीद से प्रेरित है। यूएस-चीन ट्रेड वॉर और ट्रम्प की यूरोपीय आयातों पर 200% टैरिफ की धमकी ने सुरक्षित निवेश की मांग को बढ़ा दिया है।
पिछले एक साल में, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और केंद्रीय बैंकों द्वारा डॉलर-आधारित भंडार से दूरी बनाने के कारण सोने की मांग में तेजी आई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने से केंद्रीय बैंकों ने सोने की होल्डिंग बढ़ाई है। पोलैंड, तुर्की और भारत 2024 में सबसे बड़े खरीदार रहे हैं।
₹92,000 पर पहुंच सकता है भाव
केडिया कमोडिटिज के प्रेसीडेंट अजय केडिया के मुताबिक2025 में MCX पर सोने की कीमत ₹92,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन ट्रेड टेंशन, मजबूत आर्थिक डेटा या दरों में कटौती पर फेड का विराम कीमतों में उतार-चढ़ाव ला सकता है।
सोने की कीमतों के बढ़ने के पीछे प्रमुख कारण
- ट्रेड वॉर और टैरिफ अनिश्चितता: यूरोपीय शराब पर ट्रम्प की 200% टैरिफ धमकी और चीन पर नए शुल्क ने आर्थिक अस्थिरता बढ़ाई है।
- केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद: 2024 में केंद्रीय बैंकों ने सोने की होल्डिंग बढ़ाई और 2025 में भी इसे जारी रखने की संभावना है।
- फेडरल रिजर्व दर में कटौती: 2025 में कम से कम तीन बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, जिससे सोने की अपील बढ़ेगी।
- कमजोर अमेरिकी डॉलर: डॉलर इंडेक्स 104 से नीचे और 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड 4.27% तक गिर गई है, जिससे सोना आकर्षक विकल्प बन गया है।
- भू-राजनीतिक जोखिम: रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन ट्रेड विवाद ने सोने की मांग बढ़ाई है।
- मुद्रास्फीति दबाव: अमेरिकी CPI 2.8% तक गिर गया है, लेकिन टैरिफ और मौद्रिक सहजता से मुद्रास्फीति दबाव बढ़ सकता है।
- शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव: निफ्टी, डॉव जोन्स, एसएंडपी 500 और नैस्डैक में गिरावट ने सोने की मांग बढ़ाई है।
कुछ कारक सोने की कीमतों में सुधार ला सकते हैं
- ट्रेड वॉर का समाधान: अमेरिका और चीन के बीच समझौता होने से सोने की मांग कम हो सकती है।
- अमेरिकी डॉलर में मजबूती: डॉलर इंडेक्स 105 से ऊपर और ट्रेजरी यील्ड 4.5% से ऊपर जाने से सोने पर दबाव बढ़ सकता है।
- फेड द्वारा दरों में कटौती में देरी: अगर मुद्रास्फीति बनी रहती है, तो फेड दरों को उच्च बनाए रख सकता है, जिससे सोने की अपील कम होगी।