नई दिल्ली। मऊ जिले में सदर विधानसभा के पूर्व विधायक रहे मुख्तार की गुरुवार को बांदा के सरकारी अस्पताल में हार्ट अटैक से मौत हो गई। गाजीपुर के यूसूफपुर मोहम्मदाबाद निवासी माफिया पिछले करीब तीन साल से बांदा जेल में बंद था। अंसारी की मृत्यु के साथ ही अपराध के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का अंत हो गया।
मुख्तार के बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी अपराध की दुनिया से लेकर राजनीतिक सांठगांठ से सैकड़ों करोड़ की प्रॉपर्टी जुटाई। मुख्तार की बेशुमार दौलत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि सरकारी एजेंसियों ने उसके पास से 2020 से 608 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्तियों को जब्त या ध्वस्त किया है। मुख्तार अंसारी ने आखिरी चुनाव 2017 में जेल से लड़ा था और जीता भी था। वह पांच बार विधायक रहा। मुख्तार द्वारा चुनाव में दायर हलफनामे के मुताबिक, उसके पास कुल 21.88 करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स यानी संपत्ति थी। इस एसेट्स का अधिकांश हिस्सा, लगभग 20 करोड़ रुपये, रियल एस्टेट में लगा है।
चुनावी हलफनामे के अनुसार, मुख्तार अंसारी और उसकी पत्नी के पास संयुक्त रूप से लगभग 3.23 करोड़ रुपये की कृषि भूमि थी। इसके अलावा, उनके पास 4.90 करोड़ रुपये की गैर-कृषि भूमि थी। सिर्फ जमीन ही नहीं, बल्कि गाजीपुर से लेकर लखनऊ तक, उसके परिवार के पास कई कॉमर्शियल बिल्डिंग्स भी हैं, जिनकी कीमत 2017 में 12.45 करोड़ रुपये थी। उसके पास कई आवासीय इमारतें भी हैं, जिनकी कीमत 1.70 करोड़ रुपये है। एसेट्स के इतर मुख्तार पर 6.91 करोड़ रुपये की देनदारी थी। मुख्तार अंसारी की 2015-16 में कुल आय 17.75 लाख रुपये थी। इसके अलावा उनके 2 आश्रितों की आय 2.75 लाख और 3.83 लाख रुपये थी।
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में दायर अंसारी के हलफनामे के अनुसार, उनके और उनके परिवार के सदस्यों के तीन प्रमुख बैंकों में खाते थे। उसका एसबीआई में व्यक्तिगत खाता था, जबकि पत्नी के एसबीआई, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और एचडीएफसी बैंक में खाते थे। इसके अलावा, उसके बच्चों के खाते आईसीआईसीआई बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में थे। 2017 में इन खातों में कुल 10.61 लाख रुपये जमा थे। इसके अलावा 3.45 लाख रुपये नकद के अलावा बीमा में 1.90 लाख रुपये का निवेश था। उसके परिवार के पास कुल 72 लाख रुपये का सोना था। उनके पास 27.50 लाख रुपये की कुल कीमत के अलावा एक एनपी बोर रिवॉल्वर, एक बन्दूक और राइफल जैसे हथियार भी थे।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वह विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुना गया। साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को और अपने गिरोह को स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया।
साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अंसारी खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला मामला दर्ज किया गया था। लगभग एक दशक बाद 1986 में, जब तक वह ठेका माफियाओं के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था, तब तक उसके खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत एक और मामला दर्ज हो चुका था। अगले एक दशक में वह अपराध की दुनिया में कदम जमा चुका था और उसके खिलाफ जघन्य अपराध के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज हो चुके थे।
हालांकि अपराध में बढ़ता अंसारी का कद राजनीति में उसके प्रवेश में बाधा नहीं बना। अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा।