नई दिल्ली: टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) समय के साथ बड़े फैसले लेती रही है। अब एक और फैसला लिया गया है। 5G नेटवर्क आने के बाद मोबाइल नंबरिंग में लगातार परेशानी हो रही है। यही वजह है कि अब इसको लेकर एक जमीन तैयार की गई है। यही वजह है कि ट्राई ने नेशनल नंबरिंग प्लान को रिवाइस करने का फैसला किया है। इससे पहले साल 2003 में भी ऐसा ही फैसला लिया गया था।
सब्सक्राइबर्स की बढ़ती संख्या की वजह से मोबाइल कंपनियों के लिए नया चैलेंज खड़ा हो गया है। सर्विस भी लगातार बढ़ रही हैं तो इसके लिए अलग से नंबरिंग लाने पर विचार किया जा रहा है। नेशनल नंबरिंग प्लान की मदद से टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर की पहचान की जाती है और ये अहम भूमिका निभाते हैं। अब लगातार मोबाइल यूजर्स की संख्या बढ़ती जा रही है।
अभी क्या है चैलेंज ?
देशभर में 750 मिलियन टेलीफोन कनेक्शन के लिए साल 2003 में नंबरिंग रिसोर्स एलोकेट किया गया था। जबकि 21 साल बाद, नंबरिंग रिसोर्स रिस्क के दायरे में आ गया है। क्योंकि नेटवर्क प्रोवाइडर्स की तरफ से सर्विस में भी लगातार बदलाव किया गजा रहा है और इसकी वजह से नंबर ऑफ कनेक्शन की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। भारत में टेलीफोन सब्सक्राइबर्स की संख्या भी लगातार बदलती जा रही है और 31 मार्च तक ये करीब 85 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
ट्राई ने इसको लेकर अपनी वेबसाइट को भी अपडेट कर दिया है और सभी से इसको लेकर सलाह मांगी है। क्योंकि लंबे समय बाद नेशनल नंबरिंग प्लान में बदलाव किया जा रहा है। लिखित में भी इस पर सलाह दी जा सकती है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब मोबाइल नंबर की संख्या 10 से बढ़ा दी जा सकती है। इसे 11 से लेकर 13 नंबर तक किया जा सकता है जो यूजर्स की पहचान करने में अहम मदद कर सकती है।