देहरादून : विधानसभा और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से हुई भर्तियों में गड़बड़ी के बाद अब सरकार अशासकीय स्कूलों एवं महाविद्यालयों में पारदर्शी नियुक्तियों के लिए विकल्प तलाश रही है। इसके लिए शिक्षा सचिव रविनाथ रमन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। जो भर्तियां किस माध्यम से कराई जाएं इस संबंध में मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
अशासकीय स्कूल एवं महाविद्यालयों में इन दिनों शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन पिछले कुछ समय से इनमें होने वाली नियुक्तियों में लगातार गड़बड़ियों की शिकायत आ रही हैं। नियुक्तियों के लिए मोटी रकम की मांग करने एवं साक्षात्कार के दौरान अंकों में गड़बड़ी की अक्सर मिलने वाली शिकायतों को देखते हुए सरकार अशासकीय स्कूल एवं महाविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियां किस माध्यम से हो इसके लिए विकल्प तलाश रही है।
हालांकि, इसके लिए पहले अलग से आयोग बनाए जाने पर विचार किया जा रहा था, लेकिन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से हुई भर्तियों में गड़बड़ी को देखते हुए अब किसी स्वतंत्र एजेंसी या राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से अशासकीय स्कूल एवं महाविद्यालयों में नियुक्तियां कराई जा सकती हैं। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन के मुताबिक अशासकीय स्कूलों में होने वाली नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही हैं।
पांच सदस्यीय समिति गठित
शिक्षक भर्ती में पांच अंक के साक्षात्कार और पैसों के लेन-देन की बात भी सामने आती रही हैं। ऐसे में अशासकीय स्कूल और कॉलेजों में पारदर्शी नियुक्तियों का माध्यम क्या हो, इसके लिए उनकी अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। अपर सचिव उच्च शिक्षा, सचिव कार्मिक, लोक सेवा आयोग का एक सदस्य एवं एक विधि के सदस्य को इसमें शामिल किया गया है। समिति इस संबंध में मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
वर्तमान में यह है भर्ती प्रक्रिया
स्कूल में शिक्षक का पद खाली होने पर सीईओ से अनुमोदन के बाद इसके लिए आवेदन मांगे जाते हैं। भर्ती के लिए श्रेष्ठ सात अभ्यर्थियों की मेरिट बनती है। स्कूल प्रबंधक की ओर से इन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। पांच अंकों के इस साक्षात्कार में शिक्षा विभाग के तीन विषय विशेषज्ञ, स्कूल प्रबंधक व प्रधानाचार्य शामिल होते हैं। सीईओ से अनुमोदन के बाद स्कूल प्रबंधक नियुक्ति पत्र जारी करते हैं।