आनंद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल l प्रदेश के सरकारी जंगलों को प्राइवेट कंपनियों को देने प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल ने मौखिक फरमान जारी किया है। शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने मौखिक फरमान में वर्णवाल ने फील्ड के अफसरों से कहा है कि 0.02 से भी कम घनत्व वाले जंगलों को प्राइवेट कंपनियों को देने के लिए चयनित करें। उन्होंने यह भी कहा है कि यह वन भूमि अतिक्रमण मुक्त हो। प्रत्येक वन मंडल में 500 से लेकर 1000 हेक्टेयर तक का चेक निर्धारित करें। यह फरमान जारी करते हुए वर्णवाल शायद भूल गए हैं कि भारत सरकार की मंजूरी के बिना वन भूमि निजी कंपनियों को नहीं दी जा सकती है।
वन भूमि को निजी कंपनियों को देने में प्रमुख सचिव वन वर्णवाल विशेष दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए फील्ड के अधिकारियों को निर्देश देने के पहले वर्णवाल निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक भी कर चुके हैं। यह बैठक सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक आरएन सक्सेना ने आहूत कराई थी। कम घनत्व वाले वन भूमि को निजी कंपनियों के देने के मुद्दे पर सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक शहबाज अहमद का कहना है कि यह राज्य सरकार के अधिकार में नहीं है। वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने के बाद ही संभव हो पाएगा। प्रमुख सचिव वन इको टूरिज्म केंद्रों को भी आउट सोर्स के जरिए संचालित कराना चाह रहे हैं। इसके लिए भी मौखिक निर्देश दिए हैं। इसके लिए नियमों में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि वर्णवाल अपने खास व्यवसायी मित्रों को इको टूरिज्म सेंटर देना चाह रहे हैं।
बघेल और मिश्रा को नोटिस जारी करने के निर्देश
प्रमुख सचिव वन वर्णवाल कैंपा फंड का उपयोग नहीं करने पर शाजापुर डीएफओ भारत सिंह बघेल और दक्षिण पन्ना डीएफओ श्रीमती मीना मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। मीना मिश्रा ने कैंपा फंड से आवंटित बजट का 7% ही उपयोग कर पाईं हैं। जबकि शाजापुर के डीएफओ बघेल आवंटित बजट का 4% भी उपयोग नहीं कर पाए। बघेल पूर्व से ही विवादों से घिरे रहे हैं। शाजापुर में बहुचर्चित फर्जी टीपी कांड में भी वे संदेह के घेरे में हैं। इस मामले में एक रेंजर को निलंबित कर दिया गया है।