नई दिल्ली : वक्फ संशोधन कानून पर आज की सुनवाई पूरी हो चुकी है. करीब दो घंटे चली सुनवाई के दौरान कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वालों की सबसे बड़ी मांग थी कि इस पर बिना किसी देरी के रोक लगाई जाए. अदालत ने ऐसा कोई आदेश तो नहीं दिया. लेकिन वह आज की सुनवाई के आखिर में एक वक्त अंतरिम आदेश जारी करने को लेकर लगभग तैयार हो गई थी.
तभी दिलचसप घटनाक्रम हुआ. कोर्ट के अंतरिम आदेश जारी करने की इच्छा पर केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुछ आपत्ति जताई. ऐसे में, अदालत ने इस अंतरिम आदेश को आगे की सुनवाई के लिए टाल दिया. सवाल है कि अदालत जिस अंतरिम आदेश की तरफ बढ़ रही थी, उस में कौन सी ऐसी बातें थीं, जिस पर सरकार को आपत्ति थी.
पहला – अदालत के अंतरिम आदेश में सबसे अहम ये था कि जब तक वह वक्फ संशोधन कानून 2025 पर अपना अंतिम फैसला नहीं सुना देती, ऐसी कोई भी संपत्ति जिसे अदालत ने वक्फ घोषित कर रखा है, उनका वक्फ का दर्जा खत्म नहीं जा सकता. चाहे वो ‘वक्फ बाय यूजर’ हो या फिर टवक्फ बाय डीड’.
यहीं ये जान लें कि ‘वक्फ बाय यूजर’ का मतलब ऐसी संपत्ति से है जो धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल हो रही हों. ऐसी संपत्ति अब तक वक्फ मानी जाती थी क्योंकि वे लंबे अरसे से एक धर्म विशेष के कामकाज का हिस्सा थीं. पर नए कानून के बाद ये व्यवस्था खत्म हो गई है. अब इस्तेमाल में आ रही इन संपत्तियों का भी नए सिरे से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वहीं, ‘वक्फ बाय डीड’ से मुराद उन संपत्तियों को वक्फ मानने से है, जिनको लेकर कानूनी कागजात उपलब्ध है.
दूसरा – नए वक्फ संशोधन में है कि अगर वक्फ की कोई संपत्ति पर विवाद हो गया तो जब तक जिलाधिकारी उस पर अपना आखिरी फैसला नहीं सुना देता, उस संपत्ति के वक्फ का दर्जा रद्द माना जाएगा. अदालत अंतरिम आदेश जारी कर इस प्रावधान को भी मुल्तवी करना चाहती थी. अदालत का मत था कि जिलाधिकारी इस सिलसिले में नए कानून के हिसाब से अपनी कार्यवाही जारी रख सकता है, मगर नए प्रावधान फिलहाल के लिए लागू नहीं होंगे.
तीसरा – अदालत ये आदेश भी जारी करने वाला था कि पदेन सदस्यों के अलावा वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल के बाकी सभी सदस्य मुसलमान होने चाहिए. पर यहां भी सरकार को दिक्कत नजर आई. सरकार की आपत्ति के बाद अदालत ने कल की सुनवाई में इस अंतिरम आदेश पर विचार करने का फैसला लिया.
बहरहाल, कोर्ट ने आज की सुनवाई के दौरान न सिर्फ सरकार बल्कि कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वालों से भी काफी तीखे सवाल किए. अदालत ने सरकार से वक्फ काउंसिल और बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की सही संख्या, ‘वक्फ बाय यूजर’ को समाप्त करने वाले प्रावधान पर स्थिति और साफ करने को कहा. संभव है सरकार अगले दो हफ्ते में इन सब विषयों पर जवाब दाखिल करे.