नई दिल्ली: डीएसी ने भारतीय सेना और भारतीय तटरक्षक बल की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कैपिटल एक्विजिशन प्रपोजल को मंजूरी दे दी है. बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों और 22 इंटरसेप्टर नौकाओं के लिए एडवांस लेंड नेविगेशन सिस्टम की खरीद को आवश्यकता की स्वीकृति दी गई है.
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक 29 जुलाई, 2024 को हुई, जिसमें विभिन्न कैपिटल एक्विजिशन प्रपोजल पर विचार किया गया. भारतीय सेना के बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों (एएफवी) के लिए एडवांस लेंड नेविगेशन सिस्टम (एएलएनएस) की खरीद को आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) दी गई. यह सिस्टम हाई लेवल के एन्क्रिप्शन के साथ स्पूफ-प्रूफ है.
ये है प्लान
एएलएनएस एमके-II भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, भारतीय नक्षत्र (आईआरएनएसएस, नेवलसी), भारत के साथ-साथ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (ग्लोनास) का उपयोग करके नेविगेशन के साथ संगत है. एएलएनएस एमके-II रक्षा श्रृंखला मानचित्रों के साथ अनुकूलता प्रदान करता है, जिसके परिणामस्वरूप एएफवी के लिए नेविगेशनल अनुप्रयोगों में बहुत उच्च सटीकता होती है. यह उपकरण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), चेन्नई से भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (आईडीडीएम) श्रेणी के तहत खरीदा जाएगा.
भारतीय तटरक्षक बल की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, डीएसी ने प्रादेशिक जल में त्वरित अवरोधन और उथले पानी के संचालन में सक्षम नवीनतम अत्याधुनिक प्रणाली के साथ 22 इंटरसेप्टर नौकाओं की खरीद के लिए एओएन को मंजूरी दी. इन नौकाओं का उपयोग तटीय निगरानी और गश्त, खोज और बचाव कार्यों, जिसमें चिकित्सा निकासी भी शामिल है, के लिए किया जाएगा.
डिफेंस सेक्टर को मजबूत बनाने पर फोकस
बता दें कि कुछ दिन पहले ही राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि भारत को ग्लोबल डिफेंस का मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने के लिए सरकार अधिक अनुकूल व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों और पहलों के सफलता के आधार पर ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्त वर्ष 2023-24 में वैल्यू के हिसाब से स्वदेशी डिफेंस प्रोडक्शन में अभी तक की सर्वाधिक वृद्धि हासिल की है. वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य 1,08,684 करोड़ रुपए था.