नेशनल फ्रंटियर उमरिया। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाऐं पॉलटिक्स और सिस्टम के रसूख में दम तोड़ रही है। आदिवासी अंचलों में खुले उप स्वास्थ्य केंद्र महज डब्बा साबित हो रहे हैं। मनमर्जी तौर पर खुलने वाले उप स्वास्थ्य केंद्र बेहतर स्वास्थ्य सुविधा तो दूर उल्टे रसूख के बलबूते बंद नजर आते हैं, यही वजह है कि लोग कई बार झोलाछाप डॉक्टरों और जिला मुख्यालय में स्थित शासकीय चिकित्सालय में कई छोटी बीमारियों को लेकर दस्तक देते हैं। सरकार भले ही गांव-गांव में स्वास्थ्य केंद्र खोलकर वहां चिकित्सकीय स्टाफ की तैनाती कर बेहतर स्वास्थ्य का दावा करे, लेकिन जमीनी हकीकत ये है, की गांव में के उप स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ एएनएम हेड क्वाटर छोड़ अपने केंद्र से मीलों दूर निवास करती हैं, जबकि कई दफा वे महज कुछ घण्टों के लिए केंद्र तक पहुंचती हैं। लेकिन इन सब मामलों से भिज्ञ जिम्मेदार व्यवस्था सुधारने की बजाय, शिकायतकर्ता पर दबाव बना मामले में पर्दा डालने का काम कर रहे हैं।
ये है मामला :
उमरिया जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी की दूरी पर स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र अमड़ी में पदस्थ एएनएम प्रमिला सिंह के विरुद्ध सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की गई है। शिकायतकर्ता ने दर्ज शिकायत क्रमांक 21800450 में कहा है, कि अमडी में पदस्थ एएनएम अपने उप स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित नहीं रहती हैं। इससे कई बार मरीजों को रात्रि में उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती। शिकायतकर्ता का कहना है, की अमडी में पदस्थ एएनएम उप स्वास्थ्य केंद्र के हेड क्वाटर की बजाय जिला मुख्यालय में निवास करती हैं। जिस वजह से उचित स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मुहैया नहीं हो पाती।
निराकरण के बजाय बना रहे दबाव :
एएनएम की लापरवाही और कार्यप्रणाली को लेकर शिकायतकर्ता ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज की है। शिकायतकर्ता का कहना है, कि शिकायत में कार्यवाही के बजाय हीलाहवाली करते हुए छुटभैये नेता से लेकर, गांव के रोजगार सहायक और करकेली बीएमओ लगातार शिकायत बंद कराने का दबाव बना रहे हैं। यही नहीं शिकायत के निराकरण के बजाय अपने अधीनस्थ कर्मचारी को बचाने के लिए बीएमओ डा चंदेल द्वारा शिकायतकर्ता गांव का न होने का कारण बताकर शिकायत झूठी कहकर शिकायत को बंद करने का हवाला दे दिए।
झोलाछाप की उपज एमपीडब्ल्यू! :
उमरिया जिले में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्रों शासकीय चिकित्सक और चिकित्सकीय स्टाफ अपने कर्तव्य से दूर भागते नजर आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि उप स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात चिकित्सकीय स्टाफ को हेड क्वारट में निवास करने का नियम है, लेकिन उप स्वास्थ्य केंद्र अमडी में पदस्थ एएनएम जिला मुख्यालय में निवास करती हैं। वहीं कई एमपीडब्ल्यू क्षेत्र की बजाय मुख्यालय स्थित दफ्तर का कार्य करते हैं। और शायद यही वजह है कि जिले के हर गांव में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था होने के बावजूद लोग गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की ओर इमरजेंसी में रुख करते हैं। ग़ौरतलब है कि शिकायत सीएम हेल्पलाइन में एल 3 लेवल पर लंबित हैं। देखना होगा कि जनहित में जिला कलेक्टर क्या कदम उठाते हैं ?