हरतालिका तीज व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता है. यह तीज का त्योहार भाद्रपद मास शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं. खासतौर पर यह त्योहार महिलाओं द्वारा मनाया जाता है. कम उम्र की लड़कियों के लिए भी यह हरतालिका का व्रत श्रेष्ठ समझा बताया गया है. विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से जहां कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है.
हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता गौरी एवं गणेश जी की पूजा का महत्व हैं. यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता हैं. शिव जैसा पति पाने के लिए कुंवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान से करती हैं. हरितालिका तीज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है. यह आमतौर पर अगस्त-सितम्बर के महीने में ही आता है. इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते हैं. इस वर्ष हरतालिका तीज का त्योहार गुरुवार, 9 सितम्बर को मनाया जाएगा.
महिलाओं में संकल्प शक्ति बढ़ाता है हरितालिका तीज का व्रत
हरितालिका तीज का व्रत महिला प्रधान है. इस दिन महिलाएं बिना कुछ खाए-पिए व्रत रखती हैं. यह व्रत संकल्प शक्ति का एक अनुपम उदाहरण है. संकल्प अर्थात् किसी कर्म के लिए मन मे निश्चित करना कर्म का मूल संकल्प है. इस प्रकार संकल्प हमारी आन्तरिक शक्तियों का सामोहिक निश्चय है. इसका अर्थ है- व्रत संकल्प से ही उत्पन्न होता है. व्रत का संदेश यह है कि हम जीवन मे लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लें. संकल्प शक्ति के आगे असंभव दिखाई देता लक्ष्य संभव हो जाता है. माता पार्वती ने जगत को दिखाया कि संकल्प शक्ति के सामने ईश्वर भी झुक जाता है.
अच्छे कर्मो का संकल्प सदा सुखद परिणाम देता है. इस व्रत का एक सामाजिक संदेश विषेशतः महिलाओं के संदर्भ मे यह है कि आज समाज मे महिलाएं बीते समय की तुलना मे अधिक आत्मनिर्भर व स्वतंत्र हैं. महिलाओं की भूमिका में भी बदलाव आए हैं. आज के समय की महिलाएं घर से बाहर निकलकर पुरुषों की भांति सभी कार्य क्षेत्रों में सक्रिय हैं. ऐसी स्थिति में परिवार व समाज इन महिलाओं की भावनाओ एवं इच्छाओं का सम्मान करें, उनका विश्वास बढाएं, ताकि स्त्री व समाज सशक्त बनें.
हरतालिका तीज व्रत विधि और नियम
हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं. प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय. हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश एवं रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बनाई जाती है. विविध पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती है. चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं. उस थाल में केले के पत्ते रखे जाते हैं. सभी प्रतिमाओं को केले के पत्ते पर रखा जाता है. सर्वप्रथम कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बांध कर पूजन किया जाता है. कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन होता है. कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती है.
इसके बाद भगवान शिव जी की पूजा होती है. तत्पश्चात माता गौरी की पूजा की जाती है. उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं. इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है. इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ी जाती है और फिर आरती की जाती है जिसमें सर्वप्रथम गणेश जी की, शिव जी की और फिर माता गौरी की आरती की जाती है. इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं. प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है. आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है. हरतालिका व्रत का नियम है कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता.
प्रातः अंतिम पूजा के बाद माता गौरी को जो सिंदूर चढ़ाया जाता है, उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं. ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता हैं. उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोड़ा जाता है. अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी एवं कुण्ड में विसर्जित किया जाता है.
भगवती-उमा की पूजा के लिए इन मंत्र का जाप करना चाहिए
ऊं उमायै नम:
ऊं पार्वत्यै नम:
ऊं जगद्धात्र्यै नम:
ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
ऊं शिवायै नम:
भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करनी चाहिए
ऊं हराय नम:
ऊं महेश्वराय नम:
ऊं शम्भवे नम:
ऊं शूलपाणये नम:
ऊं पिनाकवृषे नम:
ऊं शिवाय नम:
ऊं पशुपतये नम:
ऊं महादेवाय नम:
निम्न नामों का उच्चारण कर बाद में पंचोपचार या सामर्थ्य हो तो षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है. पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़कर अन्न ग्रहण करती हैं.
हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त
8 सितंबर की रात्रि 2 बजकर 33 मिनट से तीज लग जाएगी. इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें. यह निर्जला उपवास रखा जाता है.
तृतीया तिथि प्रारंभ: 8 सितंबर 2021 की रात्रि 2 बजकर 33 मिनट से
तृतीया तिथि समापन: 9 सितंबर 2021 की रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: गुरुवार 9 सितंबर 2021 की सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 7 बजकर 35 मिनट तक शुभ माना जाएगा. इस समय में विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेगा, जो पति के उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन के लिए सर्वोत्तम माने जाएंगे. इसके बाद प्रातः 10:45 से दोपहर 1:50 तक चर, लाभ, अमृत के तीन विश्व प्रसिद्ध चौघडिया मुहूर्त रहेंगे. जिसमें पूजा करने से दांपत्य सुख, संतान सुख और हर प्रकार की खुशहाली परिवार में रहेगी.
हरितालिका पूजन प्रदोष काल मे किया जाता है. इस बार सांय 5:30 बजे से सांय 6:38 तक विशेष शुभ समय माना जाएगा. पारण अगले दिन प्रातः काल सोमवार को सुबह 6:22 बजे के बाद ही होगा.
खबर इनपुट एजेंसी से