नई दिल्ली: हावर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल छात्रों का दाखिला रद्द करने से जुड़ा मामला अब कोर्ट पहुंच गया है. हावर्ड यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में अमेरिकी की ट्रंप सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. कोर्ट के रिकॉर्ड से ये जानकारी मिली है. जिसके तहत शुक्रवार को हावर्ड यूनिवर्सिटी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व यूएस सरकार के आइवी लीग स्कूल के इंटरनेशनल छात्रों का दाखिला रद्द करने संबंधी फैसले के खिलाफ ये मुकदमा दायर किया है.
सात हजार से अधिक वीजाधारी छात्रों पर असर
हावर्ड यूनिवर्सिटी के आईवी स्कूल ने बोस्टन की संघीय अदालत के समक्ष ट्रंप सरकार पर मुकदमा दर्ज कराया है. जिसके तहत ट्रंप प्रशासन के इंटरनेशनल छात्रों का दाखिला रद्द करने संबंधी फैसले को अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन और अन्य संघीय कानूनों का “स्पष्ट उल्लंघन” बताया गया है.
हावर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी शिकायत में कहा है कि ट्रंप सरकार के फैसले से 7 हजार से अधिक वीजा धारकों पर तत्काल और विनाशकारी प्रभाव पड़ा है. शिकायत में आगे कहा गया है कि ट्रंप सरकार ने अपने एक फैसले से हार्वर्ड के छात्र निकाय के एक चौथाई हिस्से को मिटाने की कोशिश की है, जो इंटरनेशनल छात्र हैं जो विश्वविद्यालय और इसके मिशन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. हार्वर्ड ने आगे कहा कि वह होमलैंड सुरक्षा विभाग को इस कदम को लागू करने से रोकने के लिए एक अस्थायी पुनर्प्रशिक्षण आदेश का विकल्प चुनने की योजना बना रहा है.
क्या है पूरा मामला
डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने इससे पूर्व संघीय छात्र और विनिमय आगंतुक कार्यक्रम (SEVP) के तहत हार्वर्ड विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल छात्रों के नामांकन को निलंबित कर दिया था. होमलैंड सुरक्षा विभाग ने गुरुवार को इसकी घोषणा की थी. जिसके तहत हावर्ड यूनिवर्सिटी पर अमेरिकी विरोधी, आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों को यूनिवर्सिटी कैंपस में यहूदी छात्रों पर हमला करने की अनुमति देने का आरोप लगाया गया था. साथ ही आरोप लगाया था कि इससे कैंपस असुरक्षित हो रहा है.
साथ ही अमेरिकी होमलैंड विभाग ने हावर्ड यूनिवर्सिटी पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय करने का भी आरोप लगाया था, जिसमें कहा गया कि स्कूल ने हाल ही में 2024 तक एक चीनी अर्धसैनिक समूह के सदस्यों की मेजबानी और प्रशिक्षण किया था.
इंटरनेशनल छात्रों का अब क्या होगा
अमेरिका की ट्रंप सरकार की तरफ से हावर्ड यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल छात्रों के नामांकन को रद्द करने संबंधी फैसले से 7 हजार से अधिक विदेशी छात्रों पर इसका असर पड़ा है. आदेश के तहत ऐसे विदेशी छात्रों को हावर्ड से 72 घंटे के अंंदर खुद को दूसरी यूनिवर्सिटी में स्थानांतरित करना होगा या अपनी कानूनी स्थिति खोनी होगी. वहीं जिन छात्रों का आखिरी साल है , वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. लेकिन अब माना जा रहा है कि कोर्ट में मामला पहुंचने से विदेशी छात्रों को थोड़ी राहत मिल सकती है.