नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में’वेंटीलेटर’ पर पड़ी कांग्रेस की कमान अब अजय राय के हाथों में है तो पार्टी की दशा और दिशा भी बदलने लगी है. पार्टी हिंदुत्व की राह पर कदम बढ़ा रही है तो साथ ही सांगठनिक ढांचे में भी बदलाव शुरू हो गए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनने के तीसरे दिन अजय राय ने प्रवक्ताओं और मीडिया पैनेलिस्ट की नई टीम गठित की है, जिसमें पुराने नेताओं की छुट्टी कर नए चेहरों को जगह दी गई है. राय से पहले बृजलाल खाबरी 10 महीने तक अध्यक्ष रहे, लेकिन अपनी टीम नहीं बना सके. कांग्रेस प्रदेश संगठन पर प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं का दबदबा कायम है, जिनके साथ छेड़छाड़ करना अजय राय के लिए आसान नहीं है?
यूपी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद निकाय चुनाव से पहले बृजलाल खाबरी के हाथों में पार्टी की कमान सौंपी गई थी. दलित चेहरे के तौर पर खाबरी को आगे लाया गया था, लेकिन दस महीने तक प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए वह अपनी टीम भी गठित कर नहीं कर सके थे. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह रही कि सूबे में कांग्रेस का संगठन प्रियंका गांधी के प्रभारी बनने के बाद हुआ था, जिसमें प्रियंका के करीबी नेताओं का पूरी तरह से दबदबा है.
ब्लॉक और जिले से लेकर प्रदेश संगठन तक प्रियंका के करीबियों का कब्जा
कांग्रेस के प्रदेश संगठन से लेकर पार्टी की अलग-अलग इकाइयों में भी प्रियंका गांधी या फिर उनके राजनीतिक सलाहकार संदीप सिंह के करीबी नेताओं का कब्जा है. प्रियंका की टीम में अनिल यादव प्रदेश संगठन सचिव, शाहनवाज हुसैन अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष, दिनेश सिंह महासचिव, मनोज यादव ओबीसी के प्रदेश अध्यक्ष, विश्वविजय सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष, विवेकानंद पाठक प्रदेश महासचिव और देवेंद्र कश्यप जैसे नेता काबिज हैं. इसके अलावा ब्लॉक और जिले से लेकर प्रदेश संगठन तक पर प्रियंका या उनके करीबी नेताओं का ही दबदबा है.
प्रदेश संगठन के साथ छोड़छाड़ नहीं करेंगे अजय राय
बृजलाल खाबरी इसीलिए लाख चाहते हुए भी प्रदेश में अपनी टीम गठित नहीं कर सके थे और हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष बने अजय राय के लिए भी यह आसान नहीं है. कांग्रेस की मीडिया टीम का भले ही पूरी तरह से बदलाव कर दिया हो और पुराने लोगों को मुक्त कर दिया गया हो, लेकिन प्रदेश संगठन के साथ छोड़छाड़ नहीं करेंगे. कांग्रेस प्रवक्ताओं की नई लिस्ट सामने होते ही ये कहा जाने लगा कि सूबे में जो बीते चार साल से कांग्रेस में चल रहा था, वही अब भी बरकरार रहेगा. इसके सीधे संकेत हैं कि प्रियंका गांधी टीम के साथ अजय राय छेड़छाड़ नहीं करेंगे.
अजय राय को सपा से कांग्रेस में लाने का काम दिग्विजय सिंह ने किया तो उन्हें आगे बढ़ाने का काम गांधी परिवार ने किया. पहले राहुल गांधी और उसके बाद प्रियंका गांधी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी अजय राय को प्रियंका की सिफारिश पर ही मिली है. इस तरह से अजय राय किसी भी सूरत में प्रियंका के प्रभाव से बाहर निकलकर पार्टी में बदलाव की भूमिका अदा नहीं कर पाएंगे.
हालांकि अजय कुमार लल्लू और बृजलाल खाबरी को पार्टी के भीतर अपने निर्णय लेने की छूट नहीं थी, जिसके चलते कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था. सूत्रों की मानें तो पीएल पुनिया से लेकर निर्मल खत्री तक ने मना कर दिया था. इतना ही नहीं प्रमोद तिवारी भी तैयार नहीं हुए. इसके बाद प्रियंका गांधी की टीम के लोगों की पैरवी पर ही अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, जिसके चलते अब संगठन में उनके वर्चस्व को तोड़ना नहीं चाहेंगे.
अध्यक्ष बनते ही प्रियकां-राहुल के लिए शुरू की बैटिंग
अजय राय ने प्रदेश अध्यक्ष बनते ही प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के पक्ष में बैटिंग करनी शुरू कर दी है. अजय राय प्रियंका गांधी को वाराणसी तो राहुल गांधी को अमेठी से चुनाव लड़ने की भविष्यवाणी और उन्हें जिताने का दम भर रहे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश संगठन पर प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं के दबदबे के साथ अजय राय छेड़छाड़ नहीं करेंगे. अजय राय भले ही मजबूत चेहरा होंगे और दबंग नेता माने जाते हो, लेकिन कांग्रेस की सियासत में गांधी परिवार के प्रति अपनी वफादारी को भी कायम रखना जानते हैं. ऐसे में पार्टी में नए बदलावों का भले ही लोगों को बेसब्री से इंतजार हो, लेकिन कोई बड़ा बदलाव होगा, यह कहना मुश्किल है.