नई दिल्ली: आज, 16 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। यह मामला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच के समक्ष है। 70 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, DMK, Jamiat Ulema-i-Hind, और अन्य शामिल हैं। दूसरी ओर, छह बीजेपी शासित राज्य (हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, और असम) और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने इस कानून का समर्थन किया है। इसी वक्फ विवाद पर एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा का खास विश्लेषण क्या रहा इतिहास और क्यों हो रहा विवाद ?
मुख्य विवाद और तर्क !
यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव निषेध), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), और 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार) का उल्लंघन करता है। ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा को हटाने से पुराने वक्फ संपत्तियों की मान्यता खतरे में है, जो सुप्रीम कोर्ट के “वन्स अ वक्फ, ऑलवेज अ वक्फ” सिद्धांत के खिलाफ है। गैर-मुस्लिमों को वक्फ काउंसिल और बोर्ड में शामिल करना धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप है। कानून में राज्य का बढ़ता नियंत्रण (जैसे, कलेक्टर द्वारा वक्फ संपत्ति का निर्धारण) मुस्लिम समुदाय के संपत्ति अधिकारों को कमजोर करता है।
केंद्र और समर्थक राज्यों के तर्क
यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए है। यह “ऐतिहासिक सुधार” है, जो गरीब मुस्लिमों को लाभ पहुंचाएगा और अतिक्रमण को रोकेगा। गैर-मुस्लिमों को शामिल करना समावेशिता को बढ़ावा देता है और यह धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करता। हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों ने कहा कि पुराने कानून में वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और अपारदर्शिता की समस्याएं थीं, जिन्हें यह कानून ठीक करता है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
कोर्ट ने सुनवाई शुरू करते समय दो सवाल उठाए: क्या इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में सुना जाना चाहिए या हाई कोर्ट को भेजा जाए?
याचिकाकर्ता किन मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं?
सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि यह कानून 20 करोड़ मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने विशेष रूप से सेक्शन 3R पर सवाल उठाया, जिसमें वक्फ बनाने के लिए व्यक्ति को 5 साल तक इस्लाम का पालन करने का सबूत देना होगा। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बचाव किया है, और केंद्र ने पहले ही कैविएट दायर कर सुनिश्चित किया है कि उनकी बात सुने बिना कोई आदेश पारित न हो।
संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं ?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी अनिश्चित है, क्योंकि यह सुनवाई का शुरुआती चरण है। संभावित परिदृश्य हैं:
कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक: कोर्ट कुछ विवादास्पद प्रावधानों, जैसे ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाने या गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति, पर अंतरिम रोक लगा सकता है, अगर उसे लगता है कि ये संविधान का उल्लंघन करते हैं। मामले को हाई कोर्ट भेजना: कोर्ट यह तय कर सकता है कि इसकी सुनवाई पहले हाई कोर्ट में हो, खासकर अगर यह मानता है कि स्थानीय स्तर पर तथ्यों की जांच जरूरी है।
कानून का समर्थन: अगर कोर्ट केंद्र और समर्थक राज्यों के तर्कों से सहमत होता है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करता और प्रशासनिक सुधार लाता है, तो वह कानून को बरकरार रख सकता है।
विस्तृत सुनवाई का आदेश: कोर्ट इस जटिल मामले में सभी पक्षों को सुनने के लिए विस्तृत सुनवाई का समय दे सकता है, जिसमें संवैधानिक और धार्मिक मुद्दों पर गहन बहस होगी।
वर्तमान स्थिति क्या है ?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दोपहर 2 बजे शुरू हुई, और अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं आया है। कोर्ट पहले यह तय करेगा कि क्या वह इस मामले को सीधे सुनेगा या हाई कोर्ट को भेजेगा। देश भर में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, खासकर पश्चिम बंगाल, मणिपुर, और असम में, जहां कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई। इससे मामले की संवेदनशीलता बढ़ गई है।
याचिकाकर्ताओं ने मजबूत संवैधानिक आधार !
यह कहना मुश्किल है कि फैसला किसके पक्ष में होगा, क्योंकि यह संवैधानिक व्याख्या और कानूनी तर्कों पर निर्भर करेगा। याचिकाकर्ताओं ने मजबूत संवैधानिक आधार (अनुच्छेद 14, 25, 26) उठाए हैं, जबकि केंद्र और बीजेपी शासित राज्य इसे प्रशासनिक सुधार बता रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता संविधान के मूल ढांचे और धार्मिक स्वतंत्रता के संतुलन को बनाए रखना होगा। अंतिम फैसला आने तक, यह मामला राजनीतिक और सामाजिक रूप से चर्चा में रहेगा।
वक्फ कानून का इतिहास?
वक्फ कानून का इतिहास भारत में इस्लामी परंपराओं, औपनिवेशिक शासन, और स्वतंत्र भारत के विधायी ढांचे से जुड़ा है। वक्फ, एक इस्लामी अवधारणा, का अर्थ है किसी संपत्ति को धार्मिक, शैक्षिक, या सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित करना, जो स्थायी और अपरिवर्तनीय होता है। नीचे वक्फ कानून के इतिहास को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है:
1. प्राचीन और मध्यकालीन भारत में वक्फ
उत्पत्ति: वक्फ की अवधारणा इस्लाम के प्रारंभिक काल से है, जो पैगंबर मुहम्मद के समय में शुरू हुई। भारत में यह मुस्लिम शासकों (दिल्ली सल्तनत, मुगल काल) के साथ 8वीं-9वीं सदी में आया। प्रबंधन: मध्यकाल में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन मस्जिदों, मदरसों, और खानकाहों के लिए मुतवल्लियों (ट्रस्टी) द्वारा किया जाता था। ये संपत्तियां धार्मिक और सामाजिक कार्यों, जैसे गरीबों की सहायता, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए थीं। कानूनी ढांचा: कोई केंद्रीकृत कानून नहीं था; वक्फ हनफी या शिया इस्लामी कानूनों के आधार पर संचालित होता था।
2. औपनिवेशिक काल में वक्फ
ब्रिटिश शासन: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश सरकार ने वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप शुरू किया। वे इस्लामी कानूनों को पूरी तरह लागू नहीं करते थे, जिससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग और अतिक्रमण बढ़ा।
प्रारंभिक कानून क्या था ?
1894 का मुस्सलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट: यह पहला महत्वपूर्ण कानून था, जो पारिवारिक वक्फ (वक्फ-अल-अव्लाद) को मान्यता देता था। यह एक्ट इसलिए लाया गया, क्योंकि ब्रिटिश कोर्ट्स ने कुछ वक्फ को अवैध माना था। 1913 का मुस्सलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट: इसने 1894 के कानून को और मजबूत किया, जिससे निजी और सार्वजनिक वक्फ की वैधता स्पष्ट हुई। समस्याएं: ब्रिटिश प्रशासन ने वक्फ संपत्तियों का कोई केंद्रीकृत रजिस्टर नहीं बनाया, जिससे भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन बढ़ा।
3. स्वतंत्र भारत में वक्फ कानून
स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए केंद्रीकृत कानून बनाने की दिशा में कदम उठाए। प्रमुख कानून और विकास निम्नलिखित हैं:
- यह स्वतंत्र भारत का पहला व्यापक वक्फ कानून था।
- उद्देश्य: वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण, रजिस्ट्रेशन, और प्रबंधन सुनिश्चित करना।
- इसने केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की स्थापना की।
- कमी: इस कानून में कई खामियां थीं, जैसे अपर्याप्त निगरानी और कमजोर लागू करने की शक्ति।
- 1995 का वक्फ अधिनियम: 1954 के एक्ट को निरस्त कर इसे और सशक्त बनाया गया।
वक्फ के प्रमुख प्रावधान क्या हैं !
वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन। वक्फ ट्रिब्यूनल की स्थापना, जो वक्फ से संबंधित विवादों का निपटारा करते हैं। वक्फ बोर्ड को अधिक शक्तियां, जैसे संपत्तियों की वसूली और अतिक्रमण हटाना। केंद्रीय वक्फ परिषद को सलाहकारी और निगरानी की भूमिका। प्रभाव: इसने वक्फ प्रबंधन को व्यवस्थित किया, लेकिन अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की समस्याएं बनी रहीं। 2013 का वक्फ (संशोधन) अधिनियम: 1995 के एक्ट में संशोधन।
वक्फ संपत्तियों में प्रमुख बदलाव !
वक्फ संपत्तियों के अवैध हस्तांतरण पर सख्ती। वक्फ बोर्ड के लिए समयबद्ध सर्वेक्षण अनिवार्य। मुतवल्लियों की जवाबदेही बढ़ाई गई। उद्देश्य: पारदर्शिता और वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना। आलोचना: कुछ प्रावधानों को जटिल माना गया, और कार्यान्वयन में कमी रही।
4. वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025
पृष्ठभूमि: 2024 में संसद में वक्फ (संशोधन) बिल पेश किया गया, जिसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया। 2025 में यह कानून बन गया।
वक्फ के प्रमुख प्रावधान ?
‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा हटाई गई, जिससे पुरानी वक्फ संपत्तियों की मान्यता मुश्किल हो सकती है। गैर-मुस्लिमों को वक्फ काउंसिल और बोर्ड में शामिल करने की अनुमति। वक्फ संपत्तियों का निर्धारण अब कलेक्टर करेंगे, जिससे सरकारी नियंत्रण बढ़ा। वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करने का प्रमाण अनिवार्य।
क्या है विवाद ?
इस कानून को धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25, 26) और समानता (अनुच्छेद 14) के उल्लंघन का आरोप लगाकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कमजोर करता है, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता और सुधार का कदम बताती है।
5. वक्फ संपत्तियों की स्थिति
भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या लगभग 8.7 लाख है, जो 6 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली हैं। ये मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, और अन्य सामाजिक उपयोग की संपत्तियों को शामिल करती हैं। समस्याएं: अतिक्रमण, कुप्रबंधन, और भ्रष्टाचार ने वक्फ संपत्तियों के उपयोग को सीमित किया है। कई संपत्तियां अवैध कब्जे में हैं।
6. वक्फ कानून का महत्व और चुनौतियां
महत्व: वक्फ संपत्तियां मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये शिक्षा, स्वास्थ्य, और गरीबी उन्मूलन में योगदान दे सकती हैं।
इसकी कुछ चुनौतियां ?
कुप्रबंधन और पारदर्शिता की कमी। सरकारी हस्तक्षेप और धार्मिक स्वायत्तता का सवाल। अतिक्रमण और संपत्तियों का अवैध हस्तांतरण। कानूनी विवादों का लंबा निपटारा।
वक्फ कानून का इतिहास इस्लामी परंपरा ?
वक्फ कानून का इतिहास इस्लामी परंपराओं को आधुनिक प्रशासनिक ढांचे के साथ संतुलित करने की कोशिश को दर्शाता है। प्राचीन काल से लेकर 2025 तक, वक्फ कानून ने कई बदलाव देखे, लेकिन अतिक्रमण, भ्रष्टाचार, और धार्मिक स्वतंत्रता के सवाल बने रहे। वर्तमान में, 2025 का वक्फ (संशोधन) अधिनियम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर रहा है, और इसका परिणाम वक्फ संपत्तियों के भविष्य को प्रभावित करेगा।