नई दिल्ली। श्रावस्ती संसदीय सीट के लिए शनिवार को छठें चरण में मतदान होगा। चुनाव प्रचार बंद होने के बाद अब राजनीतिक दलों का फोकस उन बूथों पर है, जहां पर विपक्षी मजबूत हैं। 2019 के संसदीय चुनाव के परिणाम के आधार पर ऐसे बूथों को खोजा गया है। अब इन बूथों के मैनेजमेंट पर खासा जोर है। यही नहीं, कमजोर बूथों के लिए अलग से योजना बनाई गई है।
सियासी जंग जीतने के लिए दल तैयारी में हर पहलू को परख रहे हैं। परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में सृजित श्रावस्ती संसदीय सीट में श्रावस्ती, भिनगा के अतिरिक्त बलरामपुर जिले की बलरामपुर सदर, तुलसीपुर व गैसड़ी विधानसभा आती है। इनमें से एक पर सपा का कब्जा है, जबकि तीन पर भाजपा के विधायक हैं। एक पर उपचुनाव हो रहा है।
संसदीय चुनाव में भाजपा से साकेत मिश्र, सपा-कांग्रेस गठबंधन से राम शिरोमणि वर्मा व बसपा से मोइनुद्दीन खां समेत कुल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। बृहस्पतिवार की शाम छह बजे चुनाव प्रचार थमने के बाद दलों ने बूथ प्रबंधन पर जोर लगाया है।
चुनाव प्रबंधन संभाल रहीं कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हर विधानसभा में उन बूथों का डाटा तैयार किया है, जहां पर वर्ष 2019 के संसदीय व 2022 के विधानसभा चुनाव में दूसरे दल की मजबूत स्थिति रही। इसके प्रमुख कारण, किस मुद्दे का फायदा मिला, बूथ व मतदाताओं पर असर डालने वाले प्रभावशाली लोगों की स्थिति की भी जानकारी जुटाई गई है। ऐसे में संबंधित बूथों पर सेंधमारी करके स्थिति पक्ष में करने की तैयारी चल रही है।
भाजपा की यह है रणनीति
भाजपा ने सपा, कांग्रेस व बसपा की मजबूती वाले बूथों पर नजर रखने के लिए पांच-पांच बूथों का कलस्टर बनाया है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी पदाधिकरियों को सौंपी गई है। वार रूम को 24 घंटे के हिसाब से तैयार किया गया है। इसमें बूथ अध्यक्ष से लेकर जिला स्तरीय पदाधिकारियों को जोड़ा गया है, ताकि सभी को पार्टी का संदेश बताया जा सके।
साथ ही बूथ अध्यक्षों से उनकी समस्याओं के बारे में भी पूछा जा रहा है। हर बूथ पर 20-20 कार्यकर्ताओं को लगाया जा रहा है। प्रचार थमने के बाद अब सोशल मीडिया के माध्यम से मतदाताओं से संपर्क किया जा रहा है। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह कहते हैं कि हर बूथ की अलग-अलग योजना है। उसी अनुरूप काम किया जा रहा है। जनप्रतिनिधियों से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता लगे हुए हैं।
जिम्मेदारी संभाल रही सपा-कांग्रेस की समन्वय समिति
सपा-कांग्रेस गठबंधन यहां पर मिलकर योजना तैयार कर रही हैं। बूथों की मजबूती व कमजोरी के आकलन के साथ ही न्याय पंचायत स्तर पर फोकस किया जा रहा है। इसके लिए बनाए गए सोशल मीडिया ग्रुप पर पार्टी के बड़े नेताओं के साथ ही पार्टी प्रत्याशी को जोड़ा गया है, ताकि हर बूथ की स्थिति की जानकारी के साथ ही आने वाली समस्याओं पर फोकस किया जाय।
सपा जिलाध्यक्ष डॉ. मणिक लाल कश्यप कहते हैं कि हमारी तैयारी पूरी है। बूथ स्तर पर हमारे कार्यकर्ता लड़ रहे हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनुज सिंह कहते हैं कि हम जमीनी स्तर पर लड़ रहे हैं। हर बूथ पर मैनेजमेंट के हिसाब से काम किया जा रहा है।
बसपा में संगठन के नेताओं को कमान
बसपा ने वर्ष 2019 में यहां से जीत हासिल की थी। इस बार बसपा ने सीटिंग सांसद राम शिरोमणि वर्मा को निष्कासित करके टिकट मोइनुद्दीन खां को उम्मीदवार बनाया है। राम शिरोमणि वर्मा सपा से मैदान में हैं। ऐसे में बसपा बूथों को लेकर काफी गंभीर है। जिलाध्यक्ष लालचंद कहते हैं कि हमारी बूथों को लेकर आंतरिक प्लानिंग है। इसके लिए पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है।
राजनीतिक परिदृश्य
-2009 : कांग्रेस के डॉ. विनय कुमार पांडेय ने बसपा के रिजवान जहीर को हराकर जीत हासिल की।
-2014 : भाजपा के दद्दन मिश्रा ने सपा के अतीक अहमद को शिकस्त दी।
-2019 : बसपा के राम शिरोमणि वर्मा ने भाजपा के दद्दन मिश्र को हराया।