रायपुर : अपने अस्तित्व की तलाश कर रही छत्तीसगढ़ के राज्य गीत में पुकारे जाने वाली अरपा नदीं के मामले को लेकर आज बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई की गई है। अरपा नदी को स्वच्छ रखने तथा इसके संरक्षण और संवर्धन को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आने वाले दिनों में एक्शन प्लान बताने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि इस मुद्दे को अगर गंभीरता से नहीं लिया गया तो प्रतिदिन इस मामले पर सुनवाई कर कार्य के प्रगति की समीक्षा भी कराई जाएगी।
छत्तीसगढ़ की अरपा नदी को लेकर पिछले कई सालों से मामला कोर्ट में अटका हुआ है। आज भी यह नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। अरपा नदी की स्वच्छता, संरक्षण और संवर्धन को लेकर पेंड्रा रोड के निवासी रामनिवास तिवारी और अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला ने हाईकोर्ट याचिका दायर की थी। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए नदी के संरक्षण और संवर्धन के लिए रिवाइवल कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। जिस पर कई बार बैठकें हुई लेकिन अब तक नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर किसी प्रकार से ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसके बाद हाईकोर्ट में दलील रखते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बिलासपुर में नदी के एक पुल को रामसेतु नाम दिया गया है। लेकिन इस सेतु के नीचे गंदगी और कचरे का अंबार लगा रहता है। नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर अधिकारियों के द्वारा गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जिस पर राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने यह बताया कि बिलासपुर नदी में दोनों तरफ सड़क बनाई जा रही है। इसके अलावा तीन एसटीपी संयंत्र भी लगाए जा रहे हैं जो आने वाले समय में गंदे पानी को साफ कर अरपा नदी में प्रवाहित करेंगे। लगातार उसे क्षेत्र में निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को गंभीरता से सुना और अपना सख्त रवैया अपनाते हुए एक्शन प्लान के साथ-साथ स्थाई कार्य कब तक पूरे हो जाएंगे इस पर कंप्लीट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह जनहित से जुड़ा हुआ मुद्दा है इसलिए किसी प्रकार से इस मुद्दे को लेकर लापरवाही ना बरती जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को की जानी है।