नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. मणिपुर में एक वर्ष से अधिक समय से जातीय हिंसा का माहौल है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो प्रमुख तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, जीओसी थ्री कोर एचएस साही, मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी, मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह और असम राइफल्स के डीजी प्रदीप चंद्रन नायर दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में हुई बैठक में शामिल हुए.
मणिपुर की राज्यपाल ने शाह से की थी मुलाकात
मणिपुर की राज्यपाल अनुसूइया उइके ने रविवार को ही दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी और समझा जाता है कि दोनों ने राज्य के मौजूदा हालात पर चर्चा की. बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी.
अब तक सैकड़ों लोगों की मौत
तब से जारी हिंसा में कुकी और मेइती समुदायों तथा सुरक्षा बलों के 220 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मणिपुर पुलिस ने कहा कि ताजा हिंसा में, इस महीने की शुरुआत में एक व्यक्ति की हत्या के बाद कोटलेन में अज्ञात बदमाशों ने मेइती और कुकी दोनों समुदायों के कई घरों को जला दिया.
मणिपुर के जिरीबाम इलाके में ताजा हिंसा की सूचना के बाद मणिपुर के जिरीबाम इलाके के करीब 600 लोग अब असम के कछार जिले में शरण ले रहे हैं. कछार जिले की पुलिस ने सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है.
मोहन भागवत ने भी जताई थी चिंता
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने 10 जून को मणिपुर में एक साल के बाद भी शांति नहीं कायम होने पर चिंता जताई थी. भागवत ने नागपुर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है. दस साल पहले मणिपुर में शांति थी. ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है.’