नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने एक बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि, ”भारत में कुछ बड़ा होने वाला है।” शनिवार (10 अगस्त) की सुबह सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर भारतीय कंपनी से जुड़े एक और बड़े खुलासे का संकेत दिया है। ये वही हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी है, जिसने पिछले साल अडानी ग्रुप को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके बाद गौतम अडानी की कंपनी के शेयर गिर गए थे।
अपनी पोस्ट में Hindenburg Research ने लिखा है कि, ”भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है।” हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया है कि ये किस संदर्भ में है। लेकिन इस पोस्ट को लेकर दावा किया जा रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च किसी भारतीय कंपनी के बारे में एक बार फिर से बड़ा खुलासा करने वाली है।
अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने क्या किया था खुलासा?
हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी के अडानी समूह को लेकर जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी किया था। इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर अचानक से नीचे गिर गए थे। हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। इस रिपोर्ट के आने के बाद गौतम अडानी दुनिया के नंबर 2 अरबपति से सीधे 36वें नंबर पर आ गए थे। इतना ही नहीं, गौतम अडानी की संपत्ति में भी बहुत गिरावट दर्ज की गई थी।
पिछले साल 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी एंटरप्राइजेज की योजनाबद्ध शेयर बिक्री से ठीक पहले अडानी समूह की तीखी आलोचना करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट के कारण अडानी समूह के शेयरों के बाजार मूल्य में 86 बिलियन डॉलर की गिरावट आई थी।
सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर क्या कहा है?
सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में नए घटनाक्रमों का खुलासा किया है, जिसमें अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च और न्यूयॉर्क हेज फंड मैनेजर मार्क किंगडन के बीच संबंधों पर उजागर किया गया है। सेबी के मुताबिक हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपनी रिपोर्ट की अग्रिम प्रति किंगडन के साथ सार्वजनिक रिलीज से लगभग दो महीने पहले साझा की थी, जिससे रणनीतिक व्यापार के माध्यम से महत्वपूर्ण लाभ हुआ है।
46 पन्नों के कारण बताओ नोटिस में, सेबी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंडनबर्ग और किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट ने मई 2021 में एक “समझौता” किया था। इस समझौते ने मसौदा रिपोर्ट को साझा करने की सुविधा प्रदान की, जो जनवरी 2023 में प्रकाशित फाइनल रिपोर्ट के लगभग समान थी। रिपोर्ट में अडानी समूह पर “कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी” करने का आरोप लगाया गया, जिसके कारण अडानी की लिस्टेड कंपनियों के बाजार मूल्य में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।