डा. रंजना वर्मा ‘रैन’
गोरखपुर
हिंदी मुझसे
अक्सर पूछा करती है
क्या भाषा की …
अपनी कुछ सीमाएं हैं?
या सीमाओं की अपनी ही बाधाएं हैं?
भाव व्यक्त कर दे जो केवल
वो भाषा है…?
हर जन की जो हो ले क्या
वो ही भाषा है…?
हिंदी मुझसे…
अक्सर पूछा करती है….
रची बसी हो …
जिसमें संस्कृति सारी
बिलग ना हो पाए जिससे दुनियादारी
बस समझो वो ही भाषा है.
हिंदी मुझसे
अक्सर पूछा करती है…
मान और पहचान
दिलाए वो भाषा है?
दबी हुई संस्कृति को जो आगे
ले जाए … वो भाषा है?
हिंदी मुझसे
अक्सर पूछा करती है…
किस्से और कहानी में
जो रच बस जाए
वो भाषा है?
मन की गिरहें खोले
ना वह तनिक लजाए
हिंदी मुझसे
अक्सर पूछा करती है…
सात समंदर पार रहो पर
दूर नहीं दिल से जो जाए
वो भाषा है?
अपने और पराए का आभास कराए
वो भाषा है..?
हिंदी मुझसे
अक्सर पूछा करती है…
आखिर भाषा क्या है?